scriptपीलीभीत, चित्रकूट, महाराजगंज और मेरठ में बनेंगे चार लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर, सेंट्रल जू अथॉरिटी ने दी मंजूरी | Four Leopard Centres will be Made in Uttar Pradesh | Patrika News

पीलीभीत, चित्रकूट, महाराजगंज और मेरठ में बनेंगे चार लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर, सेंट्रल जू अथॉरिटी ने दी मंजूरी

locationलखनऊPublished: Oct 30, 2021 03:09:59 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

Four Leopard Centres will be Made in Uttar Pradesh- उत्तर प्रदेश में तेंदुए की बढ़ती संख्या को देखते हुए सेंट्रल जू अथॉरिटी (Central Zoo Authority) ने लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रदेश में चार लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनेंगे।

Four Leopard Centres will be Made in Uttar Pradesh

Four Leopard Centres will be Made in Uttar Pradesh

लखनऊ. Four Leopard Centres will be Made in Uttar Pradesh. उत्तर प्रदेश में तेंदुए की बढ़ती संख्या को देखते हुए सेंट्रल जू अथॉरिटी (Central Zoo Authority) ने लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रदेश में चार लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनेंगे। सीजेडए ने रेस्क्यू सेंटर में बनने वाले बाड़े के डिजाइन व मस्टर ले आउट को मंजूरी दी है। ‘प्रोजेक्ट लेपर्ड’ के तहत बनने वाल रेस्क्यू सेंटर में प्रदेश में कहीं से भी पकड़े जाने पर इन्हें यहां रखा जाएगा। यहां रखकर तेंदुए का इलाज किया जाएगा। सेहतमंद होने पर उन्हें वापस जंगलों में छोड़ दिया जाएगा। लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर पीलीभीत, चित्रकूट, महाराजगंज और मेरठ में बनेंगा।
कैंपा योजना से बनेंगे रेस्क्यू सेंटर

टाइगर रिजर्व में बाघ और तेंदुओं को रहने की अनुमति नहीं है। इस कारण तेंदुए जंगल से सटी आबादी वाले क्षेत्र में रहते हैं। तेंदुआ पकड़े जाने पर उसे चिड़ियाघर में रखा जाता है। मगर वर्तमान में प्रदेश के लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर चिड़ियाघर खाली नहीं है।इसलिए सरकार ने प्रोजेक्ट लेपर्ड शुरू कर रेस्क्यू सेंटर बनाने का निर्णय लिया है। यह सेंटर क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन व योजना प्राधिकरण (कैंपा) योजना से बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक केंद्र करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से बनेंगे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव पवन कुमार शर्मा ने इस संबंध में कहा कि रेस्क्यू सेंटर को सीजेडए की मंजूरी मिल गई है। अब जल्द ही कैंपा से इसके लिए बजट मिल जाएगा। शासन से कार्यदायी संस्था नामित करने के लिए पत्र भेजा गया है। संस्था नामित होते ही रेस्क्यू सेंटर बनाने का पैसा दे दिया जाएगा।
तेंदुए और बाघ के हमलों में कितने मर

टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। तेंदुओं की आबादी भी कम नहीं है। आए दिन बाघ और तेंदुओं के बीच इलाके को लेकर लड़ाइयां होती हैं। बाघों से तुलना में तेंदुए कहीं नहीं टिकते। बाघ का एक सामान्य स्वभाव होता है और वह अपने क्षेत्र में तेंदुए को ठहरने नहीं देता है। जहां बाघ बढ़ते हैं, वहां से तेंदुए पलायन करने लगते हैं। इस कारण भी लेपर्ड रेसक्टू सेंटर बनाए जा रहे हैं। इससे पहले पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने जंगल क्षेत्र के संवेदनशील और अति संवेदनशील स्थान चिन्हित किए थे। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 65 से ज्यादा बाघ हो गए थे। कई बार बाघ अपनी टेरीटरी को छोड़ कर जंगल से बाहर आबादी का रुख करते हैं। तेंदुए और बाघ के हमले के बीच में छह माह में तेंदुए चार की जान ले चुके हैं। जबकि 18 लोग जख्मी हो चुके हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो