scriptफ्रांस को भा रहा यूपी का साथ, कई कंपनियां करेंगी बड़ा निवेश | France is happy with uttar pradesh, many companies will invest big | Patrika News

फ्रांस को भा रहा यूपी का साथ, कई कंपनियां करेंगी बड़ा निवेश

locationलखनऊPublished: Nov 27, 2020 08:17:53 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

– चीन के वर्चस्व को खत्म करने के लिए तीन देशों ने एक साथ तैयारी की शुरु – कोरोना महामारी से चीन की विश्वसनीयता खराब हुई- भारत के साथ व्यापार मजबूत करना चाहते हैं यूरोपीय देश- यूपी में इन्वेस्टर समिट में 4.78 लाख रुपए के निवेश की प्रक्रिया हुई थी शुरु

2_11.jpg

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. पश्चिमी देशों की कई छोटी-बड़ी कंपनियां अब धीरे-धीरे चीन समेत अन्य कई पूर्वी देशों से अपना व्यापार समेट रहीं हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे पहला तो कोरोना महामारी से चीन की विश्वसनीयता खराब हुई है। आर्थिक जगत में प्रभुत्व रखने वाले देशों ने कोरोना वायरस को वुहान वायरस की संज्ञा दे दी। अमेरीका ने भी चीन को जानबूझकर महामारी फैलाने के लिए जिम्मेदार बताया। व्यापार जगत में विश्वनियता सबसे अहम कड़ी है जो चीन को लेकर घटी है। इसके चलते अब कई देशों की कंपनियां भारत का रुख कर रहीं हैं। भारत में बीते कुछ सालों से विदेशी व्यापार व निवेश में बढ़ोतरी को लेकर काम हो रहे हैं। कोरोना के चलते वैश्विक व्यापार की तनातनी के बीच अमेरिका ने करीब 1000 से ज्यादा उत्पादों पर चीन को लेकर टैरिफ अथवा कर बढ़ाने की तैयारी की है। उधर चीन भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।

इन सब के बीच भारत सरकार ने भी चीन द्वारा व्यक्तिगत सूचनाओं की जानकारी इकठ्ठा कर गलत इस्तेमाल की आशंका से पबजी व टिकटॉक जैसे कुल 244 चायनीज एप पर बर बैन लगा दिया। इन सबके चलते अब ट्रेड वार की स्थिति बढ़ गई है। इतना ही नहीं सितंबर में विश्व में चीन की सप्लाई चेन में चीन के वर्चस्व को खत्म करने के लिए आस्ट्रेलिया, भारत औऱ जापान ने एक साथ तैयारी शुरु कर दी है। तीनों देश प्रशांत महासागर में विश्वसनीय सप्लाई चेन के साथ स्थिर मूल्य रखने की तैयारी कर चुके हैं। इन तीनों देशों के बीच वस्तु एवं सेवा कारोबार लगभग 3.6 ट्रिलियन डॉलर का है। यूरोपीय देश इस लिहाज से भी भारत के साथ व्यापार मजबूत करना चाहते हैं।

भारत क्षेत्रफल में दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है। इस महाद्विप में प्राकृतिक संसाधनों का भंडार भी है। साथ-साथ यह विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा स्थान रखता है। जिनमें सस्ते लेबर कॉस्ट की उपलब्धता भी है। हाल ही में फ्रांस के राजदूत इमैन्युएल लेनैन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उत्तर प्रदेश में भी निवेश की संभावना जताई है। कुछ दिन पहले ही फ्रांस की प्रसिद्ध कंपनी थालोस ने गौतमबुध्दनगर (नोएडा) में अपना कार्यालय स्थापित किया है। यूपी में इन्वेस्टर समिट में 4.78 लाख रुपये के निवेश की प्रक्रिया शुरु हुई थी। जिनमें बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य जरूरी चीजें शामिल हैं। 2017 के बाद से यूपी में कानून व्यवस्था में सुधार, पारदर्शिता, जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेही, मजबूत होता प्रशासनिक ढांचा व यहां पर लागु हुए श्रमकानून सुधार के चलते से देशी-विदेशी निवेश की राह आसान हो गई है।

अन्य देश भी करेंगे उत्तर प्रदेश का रुख

अब सिर्फ फ्रांस ही नहीं बल्कि अन्य देश जो अब तक श्रमकानूनों के चलते निवेश से बचते रहे वे भी उत्तर प्रदेश का रुख करेंगे। इस स्थिति में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जिवित करने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर यूपी में बेहतर गवर्नेंस का ही परिणाम है कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तर प्रेदश भारत में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। जबकि पिछले साल की रैंकिंग में यह 12 वें स्थान पर था। कारोबार के लिए माहौल के लिए यह रैंकिंग बेहद अहम माना जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लंबे समय से लगातार आतंकवाद को झेल रहे फ्रांस के राजदूत से कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस के साथ फ्रांस को शार्लि ऐब्दो मैगजीन में कुछ विवादित प्रकाशन के बाद पूरे दुनिया में मुस्लिम देशों और संगठनों का विरोध झेलना पड़ रहा है। कई आतंकवादी घटनाओं के बाद उसने हिंसा पनपने का केंद्र बताकर कुछ मस्जिद बंद कर दिए थे। इसके बाद यूएई को छोड़ पूरे युरोप के मुस्लिम देश और इस्लामिक संगठन फ्रांस के खिलाफ उठ खड़े हुए। ऐसे में भारत का साथ फ्रांस का निवेश व्यापारिक होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनिती के लिए भी निवेश की तरह ही है। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश व यूपी एक धर्म निरपेक्ष राज्य है।

योगी सरकार ने तैयार किया अर्थव्यवस्था का मजबूत ढांचा

यूपी में योगी सरकार द्वारा कट्टरपंथियों पर कठोर कार्रवाई के चलते फ्रांस के किसी भी निवेश को व उसके व्यापार पर कोई धार्मिक असहजता नहीं है। इधर भारत के राज्यों में जिस तरह कोरोना से निबटने में योगी सरकार ने स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था का मजबूत ढांचा तैयार किया, कड़ाई से नियमों का पालन कराया, प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाया, राशन वितरण प्रणाली के जरिए भोजन की व्यवस्था मजबूत की, कोरोना से लड़ने में प्रभावशाली कदम उठाए जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ ही सबका व्यापारिक दृष्टि से विश्वास बढ़ा है। लिहाजा फ्रांस सहित विदेशी देश औऱ उनकी कंपनियों का भारत में व्यापार और निवेश के लिए उत्तर प्रदेश सबसे उपयुक्त प्रदेश बन गया है।

इससे पहले डिफेंस एक्सपो 2020 लखनऊ में भारत की 800 से अधिक व 178 विदेशी कंपनियों ने शिरकत की। भारत में दो बड़े डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कारिडोर के निमार्ण में से एक उत्तर प्रदेश में ही हो रहा है। इसमें लखनऊ, आगरा, चित्रकुट, अलीगढ़, कानपुर और झांसी से शुरुआत की जा रही है। आगे इसका औऱ विस्तार होगा। डिफेंस सेक्टर में एफडीआई नियमों को आसान बनाने से 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश संभव हो सका है। फ्रांस और उत्तर प्रदेश दोनों सांस्कृतिक महत्वों को लेकर संवेदनशील हैं।

2018 में भारत दौरे पर आ चुके हैं फ्रांस के राष्ट्रपित

युपी की तरह फ्रांस भी दर्शन, कला व विज्ञान का वैश्विक केंद्र है। फ्रांस में युरोप की चौथी सबसे ज्यादा लगभग 869 सांस्कृतिक स्थल युनेस्कों में मौजूद हैं। जिन्हें विश्व धरोहर की संज्ञा दी गई है। इससे पहले उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के करीब एक साल बाद मार्च 2018 में फ्रांस के राष्ट्रपित एमैनुएल मैंक्रों भारत दौरे पर आ चुके हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में विश्व शांति का केंद्र माने जाने वाले काशी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दौरा किया था। काशी आने से पहले वे मिर्जापुर गए थे जहां फ्रांस की ही कंपनी द्वारा स्थापित 75 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाले सोलर प्लांट का उद्घाटन किया था। इसके बाद बनारस पहुंचकर अस्सी से दशाश्वमेध तक गंगा घाटों की अद्भुत छटा को निहारा। इसके बाद पूर्वी युपी के बौद्धिक विरासत के रुप में हस्तकला को देखा था। एक ओर जहां फ्रांस में युनेस्को को विश्वधरोहर को लेकर सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपन्नता का देश है वहीं भारत में युपी के लोक, कला, विज्ञान व महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थलों से फ्रांस के लिए व्यापारिक दृष्टि से घराना माहौल बना हुआ है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो