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केजीएमयू की जांच में तीन मरीजों में इस फंगस के पाए जाने की पुष्टि की गई है। तीन जुलाई को ट्रॉमा सर्जरी विभाग में भर्ती मरीज में इसके लक्षण पाए गए थे। इसके बाद दो अन्य मरीजों की जांच की गई। 13 जुलाई को हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल टीम ने टीवीयू में भर्ती सभी मरीजों के नमूने लिए गए। जिसकी जांच के बाद माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने भी दो मरीजों में कैंडिडा आरिस की पुष्टि की। बाद में जब एक महिला में भी यह फंगस पाया गया तो इस संबंध में माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Microbiology Department) के प्रो. प्रशांत गुप्ता ने ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट प्रभारी को पत्र लिखकर आइसोलेशन की सलाह दी। तीनों मरीजों को आइसोलेट करने के बाद दूसरे वार्ड में भर्ती कर दिया गया।
केजीएमयू में फंगस से दो मरीजों की मौत
केजीएमयू (KGMU) में दो मरीजों की मौत के बाद चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ में दहशत का माहौल बना हुआ है। हालांकि, फंगस से ग्रसित होने वाले मरीजों के इलाज में लगी टीम को आइसोलेट कर दिया गया है। प्रो. जीपी सिंह का कहना है कि टीवीयू के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की दोबारा जांच कराई जाएगी। उन्हें कोई खतरा न हो, इस पर ध्यान दिया जा रहा है। फिलहाल ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट के एक वार्ड में मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है। वार्ड को आइसोलेट किया जा रहा है।
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फंगस के प्रमुख लक्षण
जब किसी को फंगस अपने ग्रिफ्त में लेता है तो मरीज को बार-बार बुखार आने लगता है और इसके साथ ही त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। पेशाब नली में भी संक्रमण होता है। ऐसे में फंगल कल्चर टेस्ट होता है। इसमें फंगस की पुष्टि होने पर तत्काल सावधानी बरती जाती है। बता दें कि जो मरीज लंबे समय तक आईसीयू में रहते हैं, उन्हें इस फंगस का ज्यादा खतरा रहता है। ज्यादातर मरीजों की लगभग 30 दिनों में मौत हो जाती है।
अब तक 35 देशों में फैल चुका है फंगस
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. उज्ज्वला घोषाल का कहना है कि संस्थान में इस फंगस को लेकर शोध किया जा रहा है। भारत में इसकी पहचान पहली बार 2011 में हुई थी। यह अब तक 35 देशों में फैल चुका है। जिसका असर लखनऊ के केजीएमयू में देखने को मिला है। इससे बचने के लिए आईसीयू के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के लिए विशेष प्रोटोकॉल अपनाया जा रहा है। कैंडिडा आरिस से संक्रमित ज्यादातर मरीजों पर आमतौर पर इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एंटी फंगल्स का असर नहीं होता है। इन पर एंटी बैक्टीरिया दवाइयों का भी असर नहीं होता है।
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सभी अस्पतालों को दोबारा किया जाएगा आगाह
सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि एसजीपीजीआई के मरीजों में यह फंगस मिलने की जानकारी के बाद ही सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को पत्र जारी किया गया था। किसी भी अस्पताल से इस तरह के मरीज मिलने की पुष्टि नहीं हुई है। अब केजीएमयू के मरीजों में कैंडिडा आरिस की पुष्टि हुई है तो विशेष सावधानी बरतनी पड़ेगी। सभी अस्पतालों को दोबारा आगाह किया जाएगा।