नदियों की स्वच्छता और उसमें गिरने वाले सीवेज को रोकने के साथ ही शहरों में घरेलू सीवरेज कनेक्शन देने के प्रयास भी तेजी से किये जा रहे हैं। शहरों में सड़क पर बहने वाला सीवर का गंदा पानी अब नहीं दिखाई देता है। गंदगी और बदबू ने लोगों की परेशानी कम हुई है। साथ ही गंदगी से होने वाली बीमारी पर भी नियंत्रण संभव हो पाया है। वर्तमान में 3298.84 एमएलडी के 104 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण ने इसमें काफी निर्णायक भूमिका निभाई है। नमामि गंगा के तहत गंगा नदी से सटे अनूपशहर को मिली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) और सीवरेज लाइन की सौगात से नदी में दूषित पानी गिरना बंद हुआ। यहां 78 करोड़ की लागत से सीवरेज लाइन बिछाने का काम किया गया।
इसी तर्ज पर लखनऊ में भी गोमती नदी की स्वच्छता में अभूतपूर्व परिर्वतन आए। नदी की स्वच्छता के साथ सतह पर जमी सिल्ट निकालने के लिए ड्रेजिंग कराई गई। नदी में रहे जीएच कैनाल (हैदर कैनाल) के सीवर के पानी को शोधित करने के लिए 120 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। यही नहीं राज्य के गाजियाबाद, मेरठ, आगरा, लोनी, सहारनपुर, बिजनौर, पिलखुआ, मुजफ्फरनगर, रामपुर, गोरखपुर, सुलतानपुर और आयोध्या नगरों से गुजरने वाली नदियों में गिरने वाले सीवेज को रोकने के लिए योजना के तहत एसटीपी का निर्माण कार्य पूरा करा लिया गया है। इसके साथ ही सीवरेज शोधन संयंत्रों के रख-रखाव और सुचारू रूप से संचालन के लिए भी व्यवस्था की गई हैं। सरकार की मंशा नदियों को गंदगी और सीवेज से पूरी तरह से मुक्ति दिलाना है।
नमामि गंगे योजना से कानुपर में सीसामऊ नाला पूरी तरह से बंद किया सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत सीसामऊ नाला परियोजना के माध्यम से नाले को पूरी तरह से बंद करके एसटीपी में डालने का काम किया है। कानपुर में 128 साल पुराना सीसामऊ नाला गंगा नदी में गंदगी के गिरने का बड़ा कारण हुआ करता था। नमामि गंगे योजना के तहत इस नाले के 140 एमएलडी सीवेज को आई.एण्ड.डी द्वारा टैप कर 80 एमएलडी बिनगवां एसटीपी और 60 एमएलडी जाजमऊ एसटीपी से शोधित किया जा रहा है। इस प्रणाली के माध्यम से कानपुर में गंगा नदी में गिरने वाला प्रदूषण पूरी तरह से बंद हुआ। जिससे गंगा नदी के प्रवाह में गुणवत्ता में काफी सुधार आया है।