GFCC : पटना से लखनऊ शिफ्ट हो सकता है गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग मुख्यालय, तैयारियां तेज
गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग को शिफ्ट करने के संदर्भ में 17 फरवरी को लखनऊ में प्रदेश के जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह और आयोग के अध्यक्ष मंजीत सिंह ढिल्लन के बीच बैठक हुई

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. जल्द ही गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (जीएफसीसी) का पता बदलने वाला है। वर्ष 2015 में यूपी के प्रस्ताव पर आयोग का क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ में खोला गया था। अब हेडक्वार्टर ही यहां लाने की तैयारी है। गंगा और इसकी सहायक नदियों के बेसिन में बसे 11 राज्यों को बाढ़ की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए वर्ष 1972 में इस आयोग की स्थापना की गई थी। 49 वर्षों से इसका मुख्यालय पटना के राजबंशी नगर में है, लेकिन अगले दो-तीन महीनों में इसका नया पता लखनऊ, उत्तर प्रदेश हो सकता है।
जानकारी के मुताबिक, 17 फरवरी को लखनऊ में इसे मुद्दे पर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह और आयोग के अध्यक्ष मंजीत सिंह ढिल्लन के बीच बैठक हुई। यूपी के आग्रह पर आयोग अध्यक्ष ने इसका प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दे दिया है। जल्द ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव सौंप दिया जाएगा। और सहमति मिली तो 11 राज्यों की बाढ़ से जुड़ी योजनाओं की पटना से निगरानी करने वाले इस मुख्यालय का नया पता लखनऊ हो जाएगा।
खबरों के मुताबिक, मंजीत सिंह ढिल्लन ने बताया कि जीएफसीसी मुख्यालय को पटना से लखनऊ शिफ्ट करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा, अंतिम निर्णय वहीं से होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हेडक्वार्टर शिफ्ट करने के लिए हमारी पूरी तैयारी है और सहमति भी। इसमें थोड़ा समय लगेगा, लेकिन उम्मीद है कि दो महीने के भीतर हो जाएगा।
जलमार्ग के अवरोधों को दूर करने का काम भी आयोग को
जीएफसीसी का हेडक्वार्टर लखनऊ में शिफ्ट होना उत्तर प्रदेश के बड़ी सफलता होगी, क्योंकि बाढ़ से बचाव के लिए आयोग ने अब तक बिहार में कई योजनाएं बनाईं, अध्ययन कराया और बाढ़ से नुकसान के स्थायी समाधान तलाशे। वर्तमान में गंगा जलमार्ग के अवरोधों को दूर करने का काम भी गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग ही दे दिया गया है।
बेसिन राज्यों के मुख्यमंत्री/प्रतिनिधि होते हैं सदस्य
गंगा बेसिन वाले 11 राज्य हैं। इनमें बिहार, यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिम बंगाल हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय का इस पर सीधा नियंत्रण होता है। आयोग के सदस्य बेसिन राज्यों के मुख्यमंत्री या उनके द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि होते हैं।
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