scriptपार्टी नयी, गंगा वही, बेटा था अब बेटी आ गयी | Ganga ki beti Priyanka Gandhi Ganga ka beta Narendra Modi | Patrika News

पार्टी नयी, गंगा वही, बेटा था अब बेटी आ गयी

locationलखनऊPublished: Mar 19, 2019 04:55:09 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

भागीरथ को तारने वाली गंगा अब पार्टियों को तारने का जरिया बन गयी है

  Ganga ki beti

पार्टी नयी, गंगा वही, बेटा था अब बेटी आ गयी

महेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ. भगीरथ अपने पुरखों को तारने के लिए गंगा को धरती पर लाए थे। अब गंगा पार्टियों को तारने का जरिया बन गयी हैं। सब का उद्धार करने वाली गंगा का अब पार्टियां उद्धार कर रही हैं। सबके अपने वादे हैं। अपने सपने हैं। इस बार पार्टी नयी है। गंगा वही हैं। गंगा का बेटा था। अब बेटी भी आ गयी हैं। सालों से गंगा की निर्मलता पर सवाल थे। अब भी सवाल हैं।
यह महज इत्तेफाक है। 38 साल पहले इंदिरा गांधी ने गंगा की निर्मलता को बनाए रखने का वादा किया था। अब पोती प्रियंका गांधी मां की निर्मलता जांचने गंगा की सैर पर हैं। पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मां गंगा ने बुलाया था। वे गंगा का बेटा बनकर आए थे। अब प्रियंका को गंगा ने बुलाया है। वे गंगा की बेटी बनकर आयीं। उन्हें गंगा का सहारा है। मोदी को भी गंगा का सहारा था। सब गंगा के सहारे, लेकिन, गंगा किसके सहारे जिंदा रहे। किसी को नहीं पता। वे बह रही हैं, निरंतर। हां, उनकी कलकलाहट कहीं कम हुई है। कहीं मद्धिम पड़ी है।
Narendra Modi
जनवरी 1981 में बीएचयू के वैज्ञानिक प्रो.बीडी त्रिपाठी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समक्ष गंगा के प्रदूषण का मामला उठाया था। मौका था नेशनल सांइस कांग्रेस का। इंदिरा गांधी ने उस वक्त गंगा प्रदूषण दूर करने का आश्वासन दिया। यह पहला सरकारी वादा था। इंदिरा जी की मौत के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। 14 जून 1986 को उन्होंने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में पहला सरकारी एलान किया। वाराणसी में गंगा एक्शन प्लान की घोषणा हुई। 1989 के आम चुनाव में पहली बार गंगा प्रदूषण राजनीतिक पार्टियों का मुद्दा बना। हर जगह चर्चाएं शुरू हुईं। 1993 से लेकर 1994 तक गंगा एक्शन प्लान के द्वितीय चरण की योजनाएं लांच की गयीं। गंगा की अस्मिता पर सवाल दर सवाल से परेशान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 04 नवंबर 2008 को गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया। फिर लोग चुप नहीं हुए। ज्योतिष और द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गंगा पर बड़ा आंदोलन खड़ा किया। इसके बाद 20 फरवरी 2009 को यूपीए सरकार ने नेशनल गंगा रीवर बेसिन अथारिटी का गठन किया गया। 2014 में नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लडऩे पहुंचे। उन्होंने प्रचारित किया-मुझे मां गंगा ने बुलाया है। चुनाव जीतने के बाद मोदी प्रधानमंत्री बने। जून 2014 में उन्होंने नमामि गंगे परियोजना की घोषणा की। इसके बाद इस प्रोजेक्ट के लिए 20 हजार करोड़ की मंजूरी दी गयी। इस बीच गंगा को बचाने के लिए हरिद्वार में आमरण अनशन पर बैठे प्रो. बीडी अग्रवाल ने जान त्याग दी। इतना सब कुछ हुआ। पर, सवाल वहीं खड़ा है। क्या गंगा आचमन के लायक हुईं?
Ganga
अभी पांच दिन पहले राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। सरकार को प्रमुख स्थलों पर गंगा जल की गुणवत्ता को हर माह सार्वजनिक करना होगा। बोर्ड लगाना होगा कि गंगा का पानी नहाने और पीने योग्य है या नहीं। लेकिन चुनावी शोर में यह आदेश कहीं गुम हो गया। चर्चा है तो गंगा के बेटे और बेटी की। 2 मई तक निर्देशों का पालन न होने पर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति का जुर्माना लगेगा। बहरहाल, 19 मई तक गंगा चर्चा में रहेंगी। इसके बाद नयी सरकार आ जाएगी। बेटी और बेटे को भी नया काम मिल जाएगा। गंगा की निर्मलता पर बोर्ड देखने की फुर्सत तब किसको होगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो