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जीएसटी और नोटबंदी के बाद भी जबरदस्त बिक्री कर रहा है गीता प्रेस, जानें क्यों

locationलखनऊPublished: May 15, 2019 03:50:07 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– 95 वर्ष पुराना है गीता प्रेस ट्रस्ट- 69 करोड़ रुपये का है वार्षिक कारोबार- हिन्दू धर्म ग्रंथों का करता है प्रकाशन

Geeta Press

जीएसटी और नोटबंदी के बाद भी जबरदस्त बिक्री कर रहा है गीता प्रेस

लखनऊ. वर्ष 2016 और 2017 में नोटबंदी और जीएसटी की मार से तमाम छोटे-बड़े कारोबार बंद हो गए। कुछ बंदी की स्थिति में आ गए हैं। लेकिन, गोरखपुर के गीता प्रेस ट्रस्ट कीबिक्री पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इस ट्रस्ट द्वारा ‘भगवान श्री कृष्ण’ और ‘श्री राम’ की जीवन लीला से सम्बंधित धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन होता है। गीता प्रेस का प्रबंधन ‘बीबी त्रिपाठी’ और ‘लाल मणि तिवारी’ के द्वारा पिछले तीन दशकों से किया जा रहा है। ‘लीला चित्र मंदिर’ और ‘गोबिंद भवन’ में इसका कार्यालय है।
गीता प्रेस ने अब तक 1800 पवित्र धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है। जिसमें रामचरित मानस, भगवद गीता, रामायण और महाभारत, पुराण और उपनिषद आदि शामिल हैं। गीता प्रेस के एक अधिकारी के अनुसार पिछले एक सदी से गीता प्रेस किसी भी तरह के राजनीतिक झुकाव से दूर है। बावजूद इसके सभी राजनीतिक दलों को धार्मिक व्याख्यान और पवित्र हिंदू ग्रंथों के ज्ञान को बढ़ावा देना चाहिए।
जबरदस्त मुनाफा
ट्रस्ट के प्रबंधक बीबी त्रिपाठी का कहना है कि 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद भी संस्था ने लगभग 22 करोड़ रुपये का बिजनेस हुआ। 2 साल में धार्मिक ग्रंथों की बिक्री से 69 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार रिकॉर्ड किया है। संस्था की बिक्री 2016 में 39 करोड़ रुपये, 2017 में 47 करोड़ रुपये और 2018 में 66 करोड़ रुपये रही है। उनका कहना है कि जीएसटी ने निश्चित रूप से उत्पादन की लागत में वृद्धि की है। लेकिन बिक्री में कमी नहीं आई है।
नो प्रॉफिट-नो लॉस सिस्टम पर काम
प्रबंधक बीबी त्रिपाठी कहते हैं कि ट्रस्ट न तो किसी का विज्ञापन करता हैं, और न ही ट्रस्ट के लिए दान मांगा जाता है। उसके बाद भी ट्रस्ट की लोकप्रियता बनी हुई है। इससे यह बात स्पष्ट होती है, कि धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान में विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।
कई दर्जन हैं बिक्री केंद्र
पिछले पांच सालों में गीता प्रेस ने कोई बिक्री केंद्र नहीं खोला है। बावजूद इसके भारत में 21 थोक विक्रेता केंद्र हैं। ट्रस्ट केवल पांच खुदरा दुकानों और 52 रेलवे स्टेशन विक्रेताओं पर निर्भर है। ट्रस्ट का एक केंद्र काठमांडू, नेपाल में भी है।

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