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घरेलू घमासान, मुलायम परेशान

locationलखनऊPublished: Apr 01, 2019 08:01:04 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

साइकिल और अखिलेश की सेहत पर भी पड़ेगा

 mulayam pareshan

घरेलू घमासान, मुलायम परेशान

ritesh singh
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के ढाई दशक पुराने इतिहास में यह पहला मौका है, जब सैफई परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव के पीछे हमेशा लक्ष्‍मण की तरह चलने वाले शिवपाल सिंह यादव उनके नामांकन में मौजूद नहीं रहे। नामांकन के ठीक पहले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष शिवपाल सिंह यादव अपने भाई मुलायम सिंह यादव से मिलकर आशीर्वाद लिया तथा जीत की शुभकामना देकर निकल गये। लगभग चार साल से चल रहे पुत्र और भाई के रगड़े-झगड़े के बीच मुलायम सिंह यादव पिछले सप्‍ताह खुलकर पुत्र अखिलेश यादव के साथ आये।
मुलायम ने पहली बार शिवपाल को आशीर्वाद देने के मुद्दे पर कहा कि हम क्‍यों देंगे जीतने का आशीर्वाद। उसके बाद तो समाजवादी पार्टी का एक तबका, जो अभी भी किसी ना‍ किसी रूप में शिवपाल के साथ खड़ा था, वह किनारे हो गया। परंतु शिवपाल सिंह यादव फिरोजाबाद संसदीय क्षेत्र से नामांकन किये हैं, जहां से समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव एवं घरेलू महाभारत में अखिलेश के सारथी बने रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव सपा से चुनाव लड़ रहे हैं।
अक्षय यादव 2014 में पहली बार फिरोजाबाद से मोदी लहर में भी जीत कर सांसद बने थे। अब सैफई परिवार में खुलकर दूरी आ जाने के बाद आशंका जताई जा रही है कि मुलायम सिंह यादव के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में सपा को नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके पीछे जो कारण गिनाये जा रहे हैं, उसमें शिवपाल सिंह का इस क्षेत्र में लगातार सक्रियता तथा सबके लिये उपलब्‍ध रहने के साथ उनका मददगार रवैया है। माना जा रहा है कि शिवपाल के अलग होने के बाद इटावा, आगरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, मथुरा, बदायूं, फतेहपुर सीकरी, कन्‍नौज, कानपुर देहात जैसे बेल्‍ट में सपा के वोटों में बिखराव होगा।
इसका असर साइकिल और अखिलेश की सेहत पर भी पड़ेगा। इसमें देखने वाली बात होगी कि इस पारिवारिक लड़ाई में मायावती का हाथी अखिलेश की साइकिल को कितनी रफ्तार दे पाता है। अखिलेश-शिवपाल की पारिवारिक लड़ाई से सपा को भले ही नुकसान होता दिख रहा हो, लेकिन पिछले चुनाव में अंडा देने वाला मायावती का हाथी इस बार बड़ा मैदान मारता दिख रही है। सपा मामलों के जानकार वरिष्‍ठो का कहना है कि पार्टी और कुनबा आज जिस ऊंचाई पर है, वह मुलायम सिंह यादव की देन है। पहली बार शिवपाल के साथ ना रहने का असर नेताजी के चेहरे पर पढ़ा जा सकता था।
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