वीरांगना आवंतीबाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) में पांच संवासिनियों को मेडिकल जांच के लिए लाया गया जहां जांच में दो के गर्भवती होने की पुष्टि हुई
pregnent women
लखनऊ.बरेली महिला संरक्षण गृह से राजधानी के मोतीनगर स्थित राजकीय बालगृह (बालिका) में स्थानांतरित की गयी दो संवासिनियों के गर्भवती होने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। वीरांगना आवंतीबाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) में पांच संवासिनियों को मेडिकल जांच के लिए लाया गया जहां जांच में दो के गर्भवती होने की पुष्टि हुई। हालांकि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने फिलहाल इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार किया हैं।
उल्लेखनीय है कि किसी भी संवासिनी को दूसरे बालगृह से स्थानांतरित करने से पूर्व उनका चिकित्सीय परीक्षण आवश्यक है। बरेली से रविवार को मोती नगर बाल गृह पहुंची संवासिनियों को चिकित्सीय परीक्षण के लिए डफरिन अस्पताल भेजा गया था। डफरिन में ओपीडी में मौजूद चिकित्सकों के पैनल ने उनका परीक्षण किया। अल्ट्रासाउंड जांच में दो संवासिनियों के गर्भवती होने की बात सामने आयी। संरक्षण गृह से आयीं संवासनियों के गर्भवती होने की सूचना से मोती नगर के संरक्षण गृह में अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।
मोती नगर बालगृह की अधीक्षिका रुपेन्दर कौर ने बताया कि बरेली से आयी पांचों शादी-शुदा संवासिनियों को बालगृह में रखने के पहले चिकित्सीय परीक्षण के लिए भेजा गया था। उन्होंने बताया कि डफरिन अस्पताल से अभी तक किसी संवासिनी के गर्भवती होने की रिपोर्ट उनको नहीं मिली है।
अगर ऐसी कोई रिपोर्ट सामने आती है तो बरेली में उनके रहने के समय पर रिपोर्ट मंगायी जाएगी। उधर डफरिन अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक साधना सक्सेना ने फिलहाल पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों के पैनल ने संवासनियों की जांच की थी। उन्हें अभी तक रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
गर्भवती होने के मामले पर उठे सवाल
दो महिला संवासिनी के गर्भवती होने से मामला गर्माया हुआ है। सवाल उठ रहे हैं की आखिर दोनों कैसे गर्भवती हो गईं जबकि वह कई महीनों से परिवार से पति से अलग रह रही थी? यह मामला सामने आने पर राजकीय बालिका गृह और संवासिनी गृह पर महिलाओं की सुरक्षा पर तमाम सवाल खड़े हो गए।
मंत्री के सामने खुली थी मोतीनगर बालिका गृह की पोल कुछ समय पहले मोतीनगर स्थित राजकीय बालिका गृह की पोल खुली थी। एक लड़की ने बाल आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह को पत्र लिखा था। जिसमें बालिका गृह में होने वाले अत्याचार के बारे में कुछ ऐसी मार्मिक चिट्टी लिखी थी।
पढ़िए मार्मिक पत्र फिर समझें क्या हाल हैं?
मंत्री महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं राजकीय बालगृह बालिका मोतीनगर संस्था में हूं। यहां के हालात बिल्कुल ठीक नहीं। बच्चों को गालियां देना, डराना और धमकाना आम है।
स्टाफ शिखा और जेबा बच्चों की झूठी शिकायतें अधीक्षिका रुपिंदर कौर से करती हैं। होली-दीवाली जैसे त्यौहारों पर लोग जो सामान दे जाते हैं, उसमें से हमें थोड़ा ही मिलता है।
बाकी सामान अधीक्षिका और स्टाफ रख लेते हैं। पिछली दिवाली लावा आया था, जिसमें कीड़ा लगा था। उसे किसी ने नहीं रखा। बड़े बच्चों ने खाने से मना किया तो छोटे बच्चों को जबरन खिलाया गया।
बड़ी लड़कियों ने जब कहा कि यह खाने से बच्चे बीमार पड़ जाएंगे तो, उन्हें डरा कर चुप करा दिया सुबह बच्चों के लिए आने वाले दूध में से दो पैकेट अधीक्षिका अपने लिए निकलवा लेती … कई बार दाल में फिनाइल की बदबू आती शिकायत करो तो डांट कर चुप करा दिया जाता है। एक बालिका पूनम ने इसका विरोध किया और निरीक्षण के समय शिकायत करने की धमकी दी तो उसे कहीं और भिजवा दिया गया। कौन क्या कर लेगा
सरकार की ओर से आने वाले अच्छी क्वालिटी के चावल को बदल कर घटिया चावल परोसा जाता है, उसमें भी अक्सर कीड़े निकलते हैं।
करीब 70 लोगों का खाना, जिस बर्तन में बनता है, उन्हें छोटी बच्चियों से साफ कराया जाता है। सफाई करवाई जाती है। बच्चे काम में ही व्यस्त रहते हैं, पढ़ नहीं पाते। लगातार फेल होने की यही वजह…यदि कोई बालिका मुंह खोलती है तो उसे जमकर डांट पड़ती है।आपसे निवेदन है कि किसी तरह किसी तरह अधीक्षिका और यहां के स्टाफ को बदल दीजिए। वह यहां रहते हुए पढ़ने और आगे बढ़ने नहीं देंगी। प्लीज, हम बच्चों की मदद कीजिए। पत्र ने फैलाई थी सनसनी, जांच में लगी थी फटकार पत्र मिलने के बाद जूही सिंह ने औचक निरिक्षण किया। जिसमें उन्होंने मोतीनगर बालिका गृह की दयनीय स्थिति को देखा। वहां अधीक्षिका को फटकार लगाई थी। जूही सिंह ने गर्भवती मामले में मांगी रिपोर्ट जूही सिंह ने बालिका गृह से गर्भवती होने के मामले में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा है की अगर कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जायेगा। —