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मुख्यमंत्री जी! जांच होती रहेगी पहले जलकुंभी तो हटवा दीजिए

locationलखनऊPublished: May 16, 2018 01:28:21 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

पर्यावरण वैज्ञानिक कह रहे हैं आज से दो साल पहले लखनऊ में जिस हालत में गोमती थी उससे भी बदतर स्थिति अब हो गयी है…

Gomti river
पत्रिका कनेक्ट
लखनऊ. लखनऊ की लाइफ लाइन गोमती मर रही है। ऊपर से यह खूब हरी-भरी दिख रही है, लेकिन कई जगह जलधारा सूख गयी है। मछलियां मर गयी हैं। अन्य जलीय जीव जंतु भी गायब हैं। पर्यावरण वैज्ञानिक चिंतित हैं। वे कह रहे हैं आज से दो साल पहले लखनऊ में जिस हालत में गोमती थी उससे भी बदतर स्थिति अब हो गयी है। जलकुंभी साफ न की गयी तो आने वाले सालों में गोमती नाला भी नहीं रह जाएगी। कारण यह है कि जलकुंभी की वजह से सूर्य की किरणें बाकी बचे पानी तक नहीं पहुंच पा रहीं। पानी में घुली ऑक्सीजन भी कम हो गयी है। इससे न केवल मछलियां मर गयीं बल्कि अन्य जलीय जंतुओं का अस्तित्व मिट रहा है। सरकार है वह गोमती में हुए घपले घोटाले तक ही सीमित है। उसे उसके अस्तित्व को बचाने से ज्यादा फिक्र अखिलेश सरकार के मंत्रियों और अफसरों को जेल भेजवाने की है। हालांकि इसमें भी कोई प्रगति नहीं दिखती।
अटल से लेकर टंडन तक चिंतित
जब अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार लखनऊ से सांसद बने थे तब से गोमती को साफ किया जा रहा है। कई बार मंत्री रह चुके लालजी टंडन की तो जैसे जान ही गोमती में बसती है। वे अपने मंत्रित्व काल में गोमती के उद्धार को लेकर बहुत चिंतित रहे। लेकिनगोमती एक्शन प्लान से आगे कुछ नहीं कर पाए। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हुए। गोमती से तलछट, रेत और गाद निकाली गई। इस पर कमीशन बंटा और अगली बारिश में यही गंदगी फिर गोमती में समाहित हो गयी। तब से यही सिलसिला जारी है। हां, गुलाला घाट,1090 चौराहा आदि के पास गोमती का सुंदरीकरण करके उसके पाट को जरूर कम कर दिया गया। लालजी टंडन, मायावती के बाद अखिलेश यादव ने भी गोमती को लेकर चिंता दिखाई। अखिलेश सरकार में 1500 करोड़ की गोमती रिवर फ्रंट परियोजना शुरू हुई। नदी की खुदाई हुई। मिट्टी निकाली गयी। कुछ पक्के निर्माण हुए। कुछ पूरे हुए। कुछ आज भी अधूरे हैं। सरकार में अंतिम दिनों में शुरू हुई इस परियोजना में खूब भ्रष्टाचार हुआ। कुल मिलाकर गोमती और मैली हो गयी।
योगी की चिंता सपा नेता जेल जाएं
अखिलेश चले गए। नयी सरकार बनी। योगी आदित्यनाथ ने शपथ ली। इसके बाद वे 27 मार्च 2017 को गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण करने पहुंचे। भ्रष्टाचार पकड़ा और चार सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी। समिति ने रिपोर्ट दी 60 फीसदी काम ही पूरा हुआ है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह ने भी घपले घोटाले की जांच की। उन्होंने भी भ्रष्टाचार पाया। फिर 19 जून 2017 को लखनऊ पुलिस ने गोमतीनगर थाने में रिवर फ्रंट मामले में एफआईआर दर्ज की। 17 जुलाई 2017 से योगी सरकार ने भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराने की मंजूरी दी। एक दिसंबर 2017 को सीबीआई ने गोमतीनगर थाने में इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई। सिंचाई विभाग के अभियंताओं को दोषी पाया गया। मामले की जांच चल रही है। और गोमती मर रही है। इस पूरी कवायद में लगभग एक साल बीत गए। इस बीच न तो अधूरे कार्य पूरे हुए न गोमती को जलकुंभी से मुक्ति मिली। अब गोमती को बचाने वालों की यही फरियाद है कि गोमती को पहले बचा लीजिए जांच चलती रहेगी।

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