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गोसाईगंज से भाजपा विधायक खब्बू तिवारी की सदस्यता रद्द, जानिए क्या है पूरा मामला

locationलखनऊPublished: Dec 09, 2021 05:39:47 pm

Submitted by:

Amit Tiwari

अयोध्या जिले की गोसाईगंज सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी 29 साल पहले साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र और बैक पेपर में कूट रचित दस्तावेज के सहारे धोखाधड़ी व हेराफेरी की थी। खब्बू तिवारी के साथ सपा नेता फूलचंद यादव और चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृपा निधान तिवारी को भी एमपी/एमएलए कोर्ट ने फर्जी मार्कशीट केस में दोषी मानते हुए 5-5 साल की सजा और 13-13 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।

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लखनऊ. फर्जी मार्कशीट के आधार पर एडमिशन लेना भारतीय जनता पार्टी के विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को काफी महंगा पड़ गया। इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अयोध्या की गोसाईगंज सीट से बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी है। विधानसभा सचिवालय ने गुरुवार को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। खब्बू तिवारी फर्जी मार्कशीट केस के दोषी हैं, जिसके लिए उनको बीते 18 अक्टूबर 2021 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई थी।
साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र में की थी हेराफेरी

बता दें कि अयोध्या जिले की गोसाईगंज सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी 29 साल पहले साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र और बैक पेपर में कूट रचित दस्तावेज के सहारे धोखाधड़ी व हेराफेरी की थी।
एमपी/एमएलए कोर्ट ने सुनाई थी 5-5 की साल की सजा

खब्बू तिवारी के साथ सपा नेता फूलचंद यादव और चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृपा निधान तिवारी को भी कोर्ट ने फर्जी मार्कशीट केस में दोषी मानते हुए 5-5 साल की सजा और 13-13 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट द्वारा सजा का ऐलान होते ही खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता खतरे में आ गई थी। कानून के मुताबिक दो साल से अधिक की सजा पर सजा की तारीख से ही सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रावधान है।
14 फरवरी, 1992 का था पूरा मामला

यह मामला अयोध्या के थाना रामजन्मभूमि का वर्ष 1992 का है। 14 फरवरी, 1992 में साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय में फर्जी अंक पत्रों के आधार पर प्रवेश प्राप्त करने का मामला प्रकाश में आया था। इनमें फूलचंद यादव बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा 1986 में फेल होने और बैक पेपर परीक्षा के बाद भी बीएससी द्वितीय वर्ष में प्रवेश पाने के योग्य नहीं थे, लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से दिए गए बैक पेपर के रिजल्‍ट में हेरफेर कर धोखाधड़ी और षड्यंत्र के आधार पर पास होने की मार्कशीट प्राप्‍त कर ली थी।
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