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सरकारी कर्मचारियों को यह झटका कहीं सीएम योगी के लिए न बन जाए सिरदर्द, आंदोलन की गई चेतावनी

locationलखनऊPublished: Aug 23, 2019 04:28:58 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को मिल रहे 6 तरह के भत्तों को समाप्त किए जाने के बाद कर्मचारियों ने इसका विरोध किया है।

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को मिल रहे 6 तरह के भत्तों (allowance) को समाप्त किए जाने के बाद कर्मचारियों ने आक्रोश है। गुरुवार को अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल (Sanjiv Mittal) ने इसका शासनादेश जारी किया, जिसके बाद कर्मचारी संगठनों में इसको लेकर विरोध देखा जा रहा है। आपको बता दें कि यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) के निर्देश पर निम्न भत्तों को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया गया है, जिससे प्रति माह कर्मचारियों व अधिकारियों को हजारों रुपयों का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। करीब 8 लाख कर्मचारी इससे प्रभावित होंगे।
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यह भत्ते हुए समाप्त-

– द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ता – 100 व 300 रुपये प्रतिमाह।
– कम्प्यूटर संचालन के लिए प्रोत्साहन भत्ता- करीब 200 रुपए प्रति माह व प्रति कर्मचारी
– स्त्रातकोत्तर भत्ता – अधिकतम 4500 रुपये।
– कैश हैंडलिंग भत्ता
– परियोजना भत्ता (सिंचाई विभाग)
– स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत अतिरिक्त प्रोत्यासन भत्ता – सीमित परिवार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए। न्यूनतम 210 रुपये, अधिकतम 1000 रुपये तक।
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Cm yogi Adityanath
कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी-

उक्त फैसले के बाद कर्मचारी संगठनों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने विरोध करते हुए कहा कि सरकार सेवा शर्तों का उल्लंघन कर रही है।सरकार को अगर इस पर रोक लगानी ही थी, तो इसे नई भर्तियों पर इसे लागू किया जाना चाहिए था। सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र का कहना है कि कर्मचारियों को मिल रहे भत्तों की धनराशि बढ़ाने के बजाय इन्हें समाप्त ही कर दिया गया है। यह कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने भी इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि शीघ्र ही इस मामले में आंदोलन किया जाएगा। सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र का कहना है कि भत्तों में खासतौर परिवार कल्याण भत्ते को समाप्त किया जाना केंद्र सरकार की नीतियों के इतर है।
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