बैठक में अधिवक्ताओं ने कहा कि सरकार जनता को सस्ता, सुलभ व त्वरित न्याय दिलाने में असफल हैं। अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए भीड़ हत्या व मुठभेड़ हत्या को जायज ठहराने के लिए माहौल बना रही हैं। एक सभ्य समाज में दंड देने का काम न्यायपालिका को है, न कि पुलिस अथवा भीड़ को। अधिवक्ताओं ने कहा कि अगर इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लगी तो सरकारें लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन के लिए निरंकुश हो जाएंगी।
बैठक की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता चंद्रपाल तथा संचालन डीएलए के प्रदेश संयोजक एडवोकेट नसीर शाह ने की। बैठक में हाइकोर्ट के एडवोकेट माता प्रसाद पाल, सोनभद्र बार से प्रभुसिंह, झांसी बार से अनीस अहमद, फैजाबाद से उमाकांत विश्वकर्मा, राजेश वर्मा आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।