भ्रष्टाचार होगा दूर वर्तमान में कंपनियों को दी जाने वाली उर्वरक सब्सिडी की व्यवस्था भ्रष्टाचार से भरी हुई है। हर साल सहकारी समितियों और भ्रष्ट कृषि अधिकारियों की वजह से खाद की किल्लत होती है और इस कारण किसान, व्यापारियों और खाद ब्लैक करने वालों से महंगे रेट पर खरीदने को मजबूर होते हैं। इसलिए सरकार ने यह स्कीम निकाली। केंद्र सरकार डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए किसानों को उर्वरक की सब्सिडी सीधे उनके बैंक अकाउंट में देने पर विचार कर रही है। किसानों के खाते में नगद सब्सिडी जमा कराने के लिए 2017 में ही नीति आयोग की एक विशेषज्ञ समिति गठित कर दी गई। लेकिन अब तक इस पर ठोस काम नहीं हो पाया। अब सीएसीपी की सिफारिश के बाद नई व्यवस्था लागू किए जाने पर विचार हो रहा है।