राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में युवाओं को आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार की ओर ले जाने वाले कौशल विकास से युक्त पाठ्यक्रमों का विस्तार किए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा इस दिशा में किए गए कार्यों की सराहना की और कहा कि यह स्थानीय सिन्होरा एवं काष्ट शिल्प तथा कृत्रिम आभूषण निर्माण को अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भी निरंतर कार्य कर रहा है, जिससे स्थानीय स्तर पर युवा स्वरोजगार खड़ा कर सकते हैं।
अपने सम्बोधन के दौरान राज्यपाल ने गांवों के विकास से जुड़े विषयों को भी उठाया और कहा कि विश्वविद्यालय सरकारी योजनाओं को गांवों के हर व्यक्ति तक उपलब्धता के लिए भी पहल करें। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा का महत्वपूर्ण बताते हुए उनके स्वास्थ्य को भी आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जिन गांवों को गोद लिया गया है वहां यह विशेष ध्यान दिया जाए कि एक भी बच्चा क्षय रोग से ग्रस्त न हो। कुपोषित बच्चों का विशेष ध्यान रखकर उन्हें स्वस्थ जीवन से जोड़ने के लिए कार्य किया जाये।
अपने सम्बोधन में राज्यपाल जी ने समारोह के मुख्य अतिथि प्रो0 रमेश चन्द्र श्रीवास्तव के “सुखेत मॉडल” की विशेष चर्चा की और कहा कि “सुखेत मॉडल” के द्वारा कृषि अवशेषों के प्रयोग से कई ग्रामीणों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरक हैं।
समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग कर रहे डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर बिहार के कुलपति एवं वैज्ञानिक प्रो0 रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया की तीन वर्ष में हुई प्रगति की सराहना की और शोध कार्यों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बलिया में स्थापित इस विश्वविद्यालय को स्थानीय समस्याओं का समाधान देने वाली शिक्षा को बढ़ावा देने पर विचार अवश्य करना चाहिए।
दीक्षांत समारोह में स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को उपाधि, मेडल प्रदान करने के साथ-साथ विश्वविद्यालय की स्मारिका “सृजन” समाचार पत्रिका “अन्वीक्षण” तथा शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के द्वारा रचित एवं सम्पादित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।