सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से हार गए, अब वारंट जारी पक्षकार रोशन लाल उमरबंशी के मुताबिक 1880 में उनके पूर्वज कालु राम और अन्य परिवारियों लोगों ने 6 बीघा ज़मीन पर धर्मशाल, कुआं और मंदिर का निर्माण कराया था। जिसे ठीक पाँच साल बाद वसीयतनामा कराते हुए 1885 में उसमें लिखा गया कि ''कोई भी व्यक्ति चाहे वो परिवार का हो या मंदिर से जुड़ा हो इस ज़मीन को बेच नहीं सकता है। न ही किसी को दे सकता है।"
लेकिन साल 2015 से ही कुछ राजनीतिक बड़े लोगों की नज़र इस ज़मीन पर टिकी हुई है। वो फर्जी कागज बनाकर इसे बेचना चाहते हैं। जिसमें खुद मुखिया के तौर पर राजस्थान के वर्तमान राज्यपाल कलराज मिश्रा के ओएसडी गोविंद राम जायसवाल और उनके साथी हैं। ये लोग बहुत ताकत लगाए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में इनकी सुनवाई नहीं हुई। अब जिला कोर्ट ने वारंट जारी किया है।
राज्यपाल कलराज मिश्र के ओएसडी पर पहले से मुकदमा राज्यपाल कलराज मिश्रा उत्तर प्रदेश के देवरिया जिल से आते हैं। उनके शुरुआत राजनीतिक करियर के समय से ही ओएसडी के तौर पर गोविंद राम जायसवाल उनके साथ जुड़े हुए हैं। इनके ऊपर मंदिर की ज़मीन पर बालू गिरवाकर अवैध कब्जा का आरोप में एफ़आईआर दर्ज हुई थी। फिर बालू हटा दी गई। लेकिन कूटरचित पेपर से कब्जा करने के प्रयास में इनके खिलाफ न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। चिलबिला स्थित हनुमान मंदिर की बेशकीमती जमीन को लेकर विवाद चल रहा है।
मंदिर समिति की जांच हुआ था खुलासा जिला प्रशासन की मदद से जब अवैध बालू डम्पिंग वहाँ से हटाई गई तो गोविंद राम जायसवाल ने क्षेत्रीय अन्य लोगों के साथ मिलकर फर्जी खसरा बनाकर न्यायालय से स्थगन आदेश ले लिया। मंदिर समिति की ओर से फर्जी खसरे की जांच कराई गई। इस मामले में वर्ष 2015 में पुलिस अधीक्षक के आदेश पर नगर कोतवाली में बजरंगलाल, विष्णुदयाल, मुंकुदलाल, गोविंदराम समेत अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ था। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
किसके खिलाफ जारी हुआ वारंट इस मामले में आरोपी बनाए गए गोविंदराम राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के ओएसडी हैं। सीजीएम न्यायालय ने मामले में बजरंगलाल, गोविंदराम, विष्णु दयाल, बृजलाल, केशवलाल, गौरीशंकर, मुकुंदलाल, मकसूदनाल समेत नौ लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।