राज्यपाल ने कहा कि सरोजिनी नायडू स्वाधीनता के बाद प्रथम महिला राज्यपाल बनी जब उत्तर प्रदेश को ‘युनाईटेड प्रोविन्स’ कहा जाता था। 13 वर्ष की आयु में सरोजिनी नायडू ने कविता लिखी, जो वास्तव में उनकी विदुषी होने का प्रमाण है। कविता जहां एक ओर मन को शांति और समाधान देती है वहीं कविता से प्रेरणा भी प्राप्त होती है। वह प्रखर वक्ता के साथ-साथ विभिन्न भाषाओं में पारंगत थीं। प्रभावी ढंग से अपनी बात रखना उनकी कुशलता थी।
गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। सरोजिनी नायडू कांग्रेस की अध्यक्ष भी रहीं थीं। राज्यपाल ने कहा कि निकट भविष्य मेें लोक सभा के चुनाव होने वाले हैं। जनतंत्र में मतदाता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र मजबूत करने के लिये शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें।राम नाईक ने कहा कि जब वे 2015 में प्रथम बार आदर व्यक्त करने सरोजिनी नायडू पार्क आये तो देखा कि सरोजिनी नायडू की प्रतिमा के नाम पर केवल ‘बस्ट’ लगा था।
राज्यपाल ने उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिये कि ‘बस्ट’ के स्थान पर सरोजिनी नायडू की आवश्यक प्रतिमा लगाई जाये। प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू का बड़ा व्यक्तित्व रहा है और जिनका देहान्त भी राजभवन में अपने कार्यकाल के समय हुआ हो, ऐसे व्यक्तित्व की प्रतिमा अवश्य ही लगनी चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रतिमा से समाज में जागृति आती है। लोग प्रेरणा प्राप्त करते हैं, यही उनकी सार्थकता है। राज्यपाल ने प्रतिमा स्थापित करने के लिये लखनऊ विकास प्राधिकरण की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि लखनऊ में जगह-जगह महापुरूषों की प्रतिमा स्थापित है। लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम दोनों संयुक्त रूप से उनके रखरखाव का कार्य करें। मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि सरोजिनी नायडू प्रदेश की प्रथम राज्यपाल रहीं हैं। महिला होने के बावजूद उन्होंने आजादी की लडाई में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि सरोजिनी नायडू ने अपनी कविताओं के माध्यम से देश की आजादी के लिये लोगों को प्रेरित किया।