राज्यपाल ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा कि देश को सेना पर नाज है। कारगिल के शहीदों ने देश का गौरव बढ़ाया है। भारतीय सेना हमारे देश का गर्व है। पूरा राष्ट्र सैनिकों को एक आदर्श के रूप में देखता है। बलिदान का सिलसिला देश की आजादी से प्रारम्भ हुआ था। हमारे सैनिक देश की सरहदों की रक्षा के लिये आज भी अपने प्राण न्यौछावर कर रहे हैं। भारतीय समाज सैनिकों का ऋणी है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं में राष्ट्र भक्ति एवं देश की गौरवगाथा का बोध कराने के लिये समस्त विश्वविद्यालय में देश के 21 परमवीर चक्र विजेताओं के चित्र लगाये जायेंगे। राज्यपाल ने यह निर्णय ‘विद्या वीरता अभियान’ के अध्यक्ष तरूण विजय के सुझाव पर लिया है।
राम नाईक ने कहा कि कारगिल युद्ध को 19 वर्ष बीत गये हैं। सैनिकों के पराक्रम से देश को विजय मिली है। अनेक सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया, तब हमें जीत मिली है। ऐसे शूरवीरों को श्रद्धांजलि देना हर व्यक्ति का दायित्व है। शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों को यह विश्वास दिलाने की जरूरत है कि सरकार के साथ-साथ देश का हर नागरिक उनके साथ है। राज्यपाल ने बताया कि कारगिल में 439 शहीद सैनिकों के परिजनों को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए उनके द्वारा पेट्रोल पम्प अथवा गैस एजेन्सी उनके भरण-पोषण के लिये दिये गये थे। उन्होंने कहा कि उनका यह निर्णय आज भी समाधान देता है कि वे शहीद परिवारों के लिये कुछ कर सके।
राज्यपाल ने कहा कि कारगिल की विजय हमें अनेक सैनिकों की शहादत के बदले में मिली है। हमें अपने शहीदों को सदैव स्मरण करना चाहिए। छत्रपति शिवाजी को याद करते हुए उन्होंने बताया कि शिवाजी की माता जीजाबाई की इच्छा थी कि कोण्डाना किला छत्रपति शिवाजी के पास होना चाहिए। शिवाजी की सेना के सरदार तानाजी अपने पुत्र के विवाह का निमंत्रण देने आये थे। माता जीजाबाई की इच्छा को जानकर उन्होंने कहा कि पहले कोण्डाना जीतेंगे बाद में शादी होगी।