विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा संशोधन करने पर भी विचार कर लिया जाए। राज्यपाल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी पत्र लिखा है।
लखनऊ.राज्यपाल राम नाईक ने विधानमंडल के दोनों सदनों से पास डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान विधेयक-2015 व आईआईएमटी विवि मेरठ विधेयक -2016 राज्य सरकार को लौट दिया है। राज्यपाल ने विधान परिषद के सभापति एवं विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर कहा है कि दोनों विधेयक के कुछ प्राविधानों के विधायी औचित्य पर विचार किया जाए। साथ ही विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा संशोधन करने पर भी विचार कर लिया जाए। राज्यपाल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी पत्र लिखा है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि नियुक्ति के संबंध में अध्यक्ष का नियोक्ता होना और अपने ही द्वारा पारित आदेशों पर अपीलीय अधिकारी के रूप में फैसला करना विधि के सर्वमान्य प्रावधानों के खिलाफ है। राज्यपाल ने विधेयक को पुनर्विचार के लिए भेजते हुए कहा है कि विधेयक में प्रावधान है कि विश्वविद्यालय द्वारा लगातार तीन बार विश्वविद्यालय अधिनियम के उल्लंघन पर राज्य सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अनुमोदन से विश्वविद्यालय का दर्जा समाप्त कर सकती है।
राज्यपाल ने कहा है कि किसी संवैधानिक संस्था, राज्य विधान मंडल द्वारा लिए गए किसी विधायी फैसले के क्रियान्वयन के लिए उस पर अनुमति या फिर अनुमोदन देने की विधिक शक्ति या अधिकारी यूजीसी को नहीं है।इसके अलावा विधायक की धारा-53 की उपधारा-3 में विश्वविद्यालय से जुड़े किसी विवाद पर किसी भी न्यायालय में सुनवाई न होने का प्रावधान कर दिया गया है। राज्यपाल ने कहा है कि ऐसा करना संविधान के तहत न्यायालयों को न्यायिक समीक्षा के दिए अधिकार की शक्ति को छीनने के बराबर है।