पत्र में कहा गया है कि अक्सर हाईकोर्ट में केस सुनवाई के लिए लगने से पहले इससे संबंधित आख्या या जवाबी हलफ़नामा समय पर शासकीय अधिवक्ता दफ्तर को उप्लब्ध नहीं कराया जाता, जिसकी वजह से सरकार का पक्ष रखने व प्रभावी पैरवी करने में कठिनाई होती है और इसके लिए कई बार आला अफसरों को कोर्ट ने तलब भी किया है। ऐसे हालात आगे न पैदा हों, इसके लिए संबंधित पुलिस अफसरों द्वारा केस की पूरी जानकारी के साथ आख्या व जवाबी हलफनामे में अभियोग से संबंधित 24 बिन्दुओं पर स्पष्ट विवरण दिए जाने की अपेक्षा की गयी है। इनमें, मामले का मुकदमा अपराध संख्या, प्रथम सूचना रिपोर्ट की तारीख, घटना का दिनांक, वादी का नाम,कथित अभियुक्तों की संख्या व नाम, उनकी गिरफ्तारी की तारीख, आपराधिक इतिहास, तफ्तीश के दौरान प्रकाश में आए अभियुक्त का ब्योरा, गवाहों की संख्या व ब्योरा, हर अभियुक्त की अपराध में भूमिका का जिक्र, अभियुक्तों से बरामदगी का विवरण, कलमबंद बयान की जानकारी, पीड़ित या पीड़िता की उम्र का स्पष्ट विवरण, विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट की स्थिति, चोट खाए लोगों की संख्या, मृतक का नाम,विसरा रिपोर्ट की तारीख, घटना में प्रयुक्त हथियार व इसकी बरामदगी की जानकारी, चोरी,लूट डकैती आदि में वाहनों की बरामदगी का ब्योरा, आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख व इसमें अभियुक्तों का नाम घटाने- बढाने का ब्योरा, अभियोग में विचारण(ट्रायल) की स्थिति और मामले संबंधी अन्य जरूरी विवरण बिन्दुवार देना होगा। कहा गया कि इन बिन्दुओं का प्रोफार्मा तैयार कर सभी थानों की वेब साईट पर उप्लब्ध करा दिया जाय जिससे थाना प्रभारी, थानाधयक्ष व विवेचना अधिकारी प्रोफार्मा को डाउन लोड कर जानकारी के साथ शाशकीय अधिवक्ता दफ्तर को सम्पर्क करें।
यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से सम्बंधित जिलों के लीगल सेल की ई- मेल आईडी व वॉट्सएप्प नम्बर शाशकीय अधिवक्ता कार्यालय को उप्लब्ध कराया जाय, जिससे कोर्ट के आदेशों का त्वरित अनुपालन हो सके।
पत्र में यह भी कारवाई करने को कहा गया है कि जिलों के लीगल सेल/ थाना प्रभारियों को आदेशित किया जाय कि वै सरकारी वकीलों के वॉट्सएप्प नम्बर अपने मोबाईल में संरक्षित करें जिससे सूचना भेजे जाने पर कोर्ट के आदेश का पालन हो सके। साथ ही जरूरी होने पर लीगल सेल के अफसरों को हाईकोर्ट के मुकदमों की सूची व आदेशों को वेबसाइट पर देखने की ट्रेनिंग की व्यवस्था करवाने को कहा गया है।
पत्र में यह भी कारवाई करने को कहा गया है कि जिलों के लीगल सेल/ थाना प्रभारियों को आदेशित किया जाय कि वै सरकारी वकीलों के वॉट्सएप्प नम्बर अपने मोबाईल में संरक्षित करें जिससे सूचना भेजे जाने पर कोर्ट के आदेश का पालन हो सके। साथ ही जरूरी होने पर लीगल सेल के अफसरों को हाईकोर्ट के मुकदमों की सूची व आदेशों को वेबसाइट पर देखने की ट्रेनिंग की व्यवस्था करवाने को कहा गया है।