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बीडीसी, ग्राम पंचायत सदस्य और प्रधान पद के लिए कौन सा गांव होगा आरक्षित कौन सा नहीं, उम्मीदवारों के लिए बड़ी खबर

locationलखनऊPublished: Sep 18, 2020 04:33:50 pm

– यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज
– सरकार, प्रशासनिक स्तर के अधिकारियों के साथ चुनाव के दावेदारों ने भी जमीन पर शुरू की मेहनत

बीजीसी, ग्राम पंचायत सदस्य और प्रधान पद के लिए कौन सा गांव होगा आरक्षित कौन सा नहीं, उम्मीदवारों के लिए बड़ी खबर

बीजीसी, ग्राम पंचायत सदस्य और प्रधान पद के लिए कौन सा गांव होगा आरक्षित कौन सा नहीं, उम्मीदवारों के लिए बड़ी खबर

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। सरकार, प्रशासनिक स्तर के अधिकारियों के साथ चुनाव के दावेदारों ने भी जमीन पर मेहनत शुरू कर दी है। वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की तारीखों का ऐलान होते ही अब गांवों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि बीडीसी, ग्राम पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधानी के लिए कौन सा गांव आरक्षित होगा और कौन सा नहीं। इस समय सभी दावेदार पूरा माहौल बनाने में जुटे हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि इस वक्त जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित या अनारक्षित है, आने वाले चुनाव में वह सीट किस वर्ग के लिए तय होगी। आपको बता देंकि कि 2015 के पंचायत चुनाव में सीटों का आरक्षण नए सिरे से हुआ था। ऐसे में पूरी संभावना है कि इस बार भी नए सिरे से सीटें आरक्षित की जाएंगी।
ऐसे तय होंगी सीटें

जानकारों की अगर मानें तो साल 2015 के चुनाव की तरह इस बार भी सीटें फिर से आरक्षित की जाएंगी और चक्रानुक्रम आरक्षण का यह दूसरा चक्र होगा। चक्रानुक्रम आरक्षण का मतलब आज जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित की गई है, पूरी उम्मीद है कि अगले चुनाव में वह सीट उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रहेगी। चक्रानुक्रम आरक्षण की वरीयता में पहला नंबर एसटी महिला का होगा। यानी एसटी की कुल रिजर्व सीटों में से एक तिहाई पद इस वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। बाकी बची एसटी की सीटों पर एसटी महिला और पुरुष दोनों के लिए सीटें आरक्षित होंगी। इसी तरह एससी के 21 प्रतिशत आरक्षण में से एक तिहाई सीटे एससी महिला के लिए आरक्षित होंगी और फिर एससी महिला और पुरुष दोनों के लिए सीटें रहेंगी।
चक्रानुक्रम आरक्षण में उसके बाद ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में एक तिहाई सीटें ओबीसी महिला के लिए होंगी फिर ओबीसी के लिए आरक्षित बाकी सीटें ओबीसी महिला या पुरुष दोनों के लिए और बाकी अनारक्षित। अनारक्षित में भी पहली एक तिहाई सीट महिला के लिए होगी। आरक्षण तय करने का आधार ग्राम पंचायत सदस्य के लिए गांव की आबादी होती है। ग्राम प्रधान का आरक्षण तय करने के लिए पूरे ब्लॉक की आबादी आधार बनती है। ब्लॉक में आरक्षण तय करने का आधार जिले की आबादी और जिला पंचायत में आरक्षण का आधार प्रदेश की आबादी बनती है।
नये सिरे से आरक्षण तय होने की उम्मीद कम

पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों की अगर मानें तो 2015 के पिछले पंचायत चुनाव में हाईकोर्ट के निर्देश थे कि चूंकि सीटों का आरक्षण का चक्र लगभग पूरा हो चुका है। इसलिए अब नये सिरे से आरक्षण का निर्धारण किया जा सकता है। इसलिए 2015 में नये सिरे से आरक्षण तय किया गया। अब इस बार प्रदेश सरकार को फिर नये सिरे से आरक्षण तय तो नहीं करना चाहिए। नये सिरे से आरक्षण तय करने का आधार सिर्फ एक ही हो सकता है जब बड़ी संख्या में नयी ग्राम पंचायतें बन गयी हों, लेकिन फिलहाल ऐसा तो इस बार हुआ नहीं। ऐसे में नए सिरे से सीटों के आरक्षण तय होने की उम्मीद कम ही है।
ऐसे तय होगा आरक्षण

– अगर किसी एक विकास खंड में 100 ग्राम पंचायतें हैं और वहां 2015 के चुनाव में शुरू के 27 ग्राम प्रधान पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए गए थे। तो इस बार के पंचायत चुनाव में इन 27 के आगे वाली ग्राम पंचायतों की घटती हुई आबादी के क्रम में प्रधान पद आरक्षित होंगे।
– इसी तरह अगर किसी एक विकास खंड में 100 ग्राम पंचायतें हैं और वहां 2015 के चुनाव में शुरू की 21 ग्राम पंचायतों के प्रधान के पद एससी के लिए आरक्षित हुए थे तो अब इन 21 पदों से आगे वाली ग्राम पंचायतों के पद घटती हुई आबादी के क्रम में एससी के लिए आरक्षित होंगे।
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