हुआ था जोरदार विरोध
केंद्र की मोदी सरकार ने पूरे देश में एकीकृत कर प्रणाली लाने के उद्देश्य से एक जुलाई २०१७ को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया था। उस समय पूरे देश में व्यापारियों ने इसका तगड़ा विरोध किया था और तमाम तरह की खामियां बताईं थीं तो वहीं सरकार ने भी शुरुआत में जो खामियां बताई गईं उसे दूर किया।
केंद्र की मोदी सरकार ने पूरे देश में एकीकृत कर प्रणाली लाने के उद्देश्य से एक जुलाई २०१७ को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया था। उस समय पूरे देश में व्यापारियों ने इसका तगड़ा विरोध किया था और तमाम तरह की खामियां बताईं थीं तो वहीं सरकार ने भी शुरुआत में जो खामियां बताई गईं उसे दूर किया।
वहीं व्यापारियों का कहना है कि इस टैक्स प्रणाली की जो समस्याएं शुरुआत में थीं वही आज साल भार होने पर भी बनी हुई हैं। सरकार उसे दूर नहीं कर पाई। सरकार कहती है कि जीएसटी एक उत्तम प्रणाली है, अगर उत्तम है तो फिर एक साल के अंदर सरकार को इसमें 150 से 200 बार संशोधन क्यों करना पड़ा। रिटर्न दाखिल करने में आज भी व्यापारियों को काफी दिक्कतें आ रही हैं। जीएसटी पोर्टल में जो खामियां थीं वह आज भी दूर नहीं हो पाई हैं।
जल्दबाजी करने से कई खामियां रह गईं पूर्व सांसद व भारतीय उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष श्याम बिहारी मिश्र कहते हैं कि जीएसटी की को लागू करने की जल्दबाजी से इसमें कई तरह की खामियां रह गईं। नतीजा यह है कि एक साल में भी व्यापारी इस सिस्टम से फ्रेंडली नहीं हो पाया है। इस कानून के सरलीकरण के लिए जो प्रयास होने चाहिए थे वे नहीं किए गए इसलिए समस्याएं आज भी जस की तस हैं। मुख्यतौर पर तकनीकी खामियां व्यापारियों की परेशानी की सबसे बड़ा कारण है। इसे दूर नहीं किया जा सका है।
छोटे व्यापारी हैं अधिक परेशान
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रांतीय महासचिव अशोक मोतियानी कहते हैं कि जीएसटी से अगर सबसे अधिक कोई परेशान है तो वह हैं छोटे व्यापारी। संसाधनों की कमी के कारण उन्हें कई तरह की दिक्कतें उठान पड़ रही है। हर महीने रिटर्न दाखिल करना भी एक बड़ी समस्या है। इससे छुटकारा मिलना चाहिए। त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था कर दी जाए तो कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रांतीय महासचिव अशोक मोतियानी कहते हैं कि जीएसटी से अगर सबसे अधिक कोई परेशान है तो वह हैं छोटे व्यापारी। संसाधनों की कमी के कारण उन्हें कई तरह की दिक्कतें उठान पड़ रही है। हर महीने रिटर्न दाखिल करना भी एक बड़ी समस्या है। इससे छुटकारा मिलना चाहिए। त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था कर दी जाए तो कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
इस लिए है परेशानी
लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी से संंबंधित तकनीकी दिक्कतों को दूर किए जाने से पूरे साल व्यापारी परेशान रहा। वहीं इस सिस्टम में सभी कार्य ऑनलाइन किए जाने से व्यापारियों की लिखा-पढ़ी बढ़ गई। व्यापारी अब मुनीम बन गया है। व्यापारियों को विश्वास में लिए बगैर जीएसटी लागू करने की वजह से सरकार को बार-बार कानून में संशोधन करना पड़ा रहा है।
लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी से संंबंधित तकनीकी दिक्कतों को दूर किए जाने से पूरे साल व्यापारी परेशान रहा। वहीं इस सिस्टम में सभी कार्य ऑनलाइन किए जाने से व्यापारियों की लिखा-पढ़ी बढ़ गई। व्यापारी अब मुनीम बन गया है। व्यापारियों को विश्वास में लिए बगैर जीएसटी लागू करने की वजह से सरकार को बार-बार कानून में संशोधन करना पड़ा रहा है।
सब कुछ ऑनलाइन होने से व्यापारियों को मिली सहूलियतें
एडीशनल कमिश्नर (जीएसटी), वाणिज्यकर विवेक कुमार ने की मानें तो जीएसटी प्रणाली में सारे काम ऑनलाइन होने से व्यापारियों को काफी सहूलियतें मिली हैं। सबसे बड़ी बात यह हे कि अब उन्हें वाणिज्यकर आफिस का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है। वहीं ई-वे बिल व्यवस्था से व्यापारियों को हर राज्य के लिए ई-वे बिल लेने के झंझट से निजात मिल गई है।
एडीशनल कमिश्नर (जीएसटी), वाणिज्यकर विवेक कुमार ने की मानें तो जीएसटी प्रणाली में सारे काम ऑनलाइन होने से व्यापारियों को काफी सहूलियतें मिली हैं। सबसे बड़ी बात यह हे कि अब उन्हें वाणिज्यकर आफिस का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है। वहीं ई-वे बिल व्यवस्था से व्यापारियों को हर राज्य के लिए ई-वे बिल लेने के झंझट से निजात मिल गई है।
जल्द दूर हो जाएंगी समस्याएं
सीए प्रेम शंकर खंडेलवाल की मानें तो जीएसटी से मुख्यतौर से पुरानी पीढ़ी के व्यापारियों व कारोबारियों को परेशानी आ रही है। फिर भी इसे 90 प्रतिशत सफलता से लागू किया गया है। इसमें सभी चीजें ऑनलाइन होने और कंप्यूटर और इंटरनेट की कम समझ के कारण ही कुछ व्यापारी परेशान हैं और उन्हें दिक्कतें आ रही हैं। जैसे-जैसे नई पीढ़ी का दखल कारोबार में बढ़ेगा और पुरानी पीढ़ी इंटरनेट की अभ्यत होती जाएगी, वैसे-वैसे जीएसटी को लेकर आ रहीं समस्याएं दूर होने लगेंगी।
सीए प्रेम शंकर खंडेलवाल की मानें तो जीएसटी से मुख्यतौर से पुरानी पीढ़ी के व्यापारियों व कारोबारियों को परेशानी आ रही है। फिर भी इसे 90 प्रतिशत सफलता से लागू किया गया है। इसमें सभी चीजें ऑनलाइन होने और कंप्यूटर और इंटरनेट की कम समझ के कारण ही कुछ व्यापारी परेशान हैं और उन्हें दिक्कतें आ रही हैं। जैसे-जैसे नई पीढ़ी का दखल कारोबार में बढ़ेगा और पुरानी पीढ़ी इंटरनेट की अभ्यत होती जाएगी, वैसे-वैसे जीएसटी को लेकर आ रहीं समस्याएं दूर होने लगेंगी।