लखनऊ। अगर आप अपने फ्लैट के लिए प्राधिकरण, आवास विकास अथवा बिल्डर को किश्तें देते हैं तो आप के लिए बुरी खबर है। प्रदेश वासियों की ये
किश्तें महंगी होने वाली हैं। एक जुलाई के बाद से आपको इस पर 12 फीसदी
जीएसटी देना पड़ेगा। अभी एलडीए समेत अन्य डेवलपर आपसे 4.5 प्रतिशत सर्विस
टैक्स ले रहे हैं। मगर जीएसटी के बाद यह दर 12 प्रतिशत हो गयी है। यानी
जुलाई में किश्त देने वालों को 12 फीसदी अतिरिक्त देना होगा।
एक
जुलाई से प्रस्तावित जीएसटी लागू होने के बाद रेडी टू शिफ्ट फ्लैट खरीदना
7.5 फीसदी महंगा हो गया है। दरअसल निर्माणाधीन फ्लैट महंगे हो गए हैं। अगर
आप 1 जुलाई के बाद किसी ऐसे प्रॉजेक्ट में घर खरीदते हैं जो पूरा हो चुका
है या होने के करीब है तो भी आपको 12 प्रतिशत जीएसटी चुकाना होगा। एलडीए के
मुताबिक जीएसटी के बाद लगने वाले टैक्स पर 7.5 प्रतिशत (4.5 से 12
प्रतिशत) बढ़ाने का कारण यह है कि वह जीएसटी लागू होने से पहले भरे गए
टैक्सों से क्रेडिट क्लेम नहीं कर पाएंगे। ऐसे प्रॉजेक्ट्स जो पूरे हो चुके
हैं या होने वाले हैं, अधिकतर खरीददार उसका 90 से 95 प्रतिशत हिस्सा दे
चुके हैं। ऐसे मामलों में भारी टैक्स का बोझ बचे हुए 5 से 10 प्रतिशत
अमाउंट पर ही पड़ेगा। एक जुलाई के बाद एलडीए से जारी सभी इनवॉइस पर 12
प्रतिशत टैक्स लगेगा। कई डिवेलपर्स पहले ही अपने खरीददार को बचे हुए अमाउंट
पर ज्यादा टैक्स देने का नोटिस भेजना शुरू कर दिया है।
उदाहरण से समझे आप पर कितना होगा बोझ
इस
मामले को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लिजिए कि किसी खरीददार ने एक
करोड़ का कोई फ्लैट खरीदा, जिसके लिए अभी तक 20 लाख रुपए 4.5 प्रतिशत टैक्स
के साथ दे दिए हैं। बचे हुए 80 लाख रुपए पर अब आवंटी को 12 प्रतिशत की दर
से टैक्स चुकाना होगा। यानी पहले उसे 80 लाख पर 4.5 फीसदी की दर से 3.6 लाख
रुपए देना पड़़ता लेकिन जीएसटी लागू होने के कारण अब उसे 12 फीसदी की दर
से 9.6 लाख रुपए टैक्स के देने होंगे।
जीएसटी से मकान लैट सस्ता
होने की बात जो कही जा रही है वह एक जुलाई के बाद शुरू होने वाले प्रोजेक्ट
पर मिलेगा। ऐसे में जो लोग फ्लैट खरीदकर शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं,
उन्हें नए प्रोजेक्ट का इंतजार करना होगा। जिन आवासीय योजनाओं का जितना
काम 30 जून तक पूरा होगा, उस पर डवलपर को एक्साइज वैट इनपुट नहीं मिलेगा।
एक जुलाई के बाद जो निर्माण कार्य होगाए उस पर ही टैक्स का इनपुट डवलपर को
मिलेगा। लेकिन यह फायदा लेने के लिए ग्राहकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा।
31 जुलाई तक जमा करें जून की किश्त, नहीं लगेगी जीएसटी
जून
तक किश्त न देने वालों के लिए राहत भरी खबर है। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने
ऐसे आवंटियों के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया है जिन आवंटियों ने जून
तक की किश्त नहीं जमा की है। एक जुलाई से जीएसटी लगने से 12 फीसदी टैक्स
देना होगा। लेकिन एलडीए ने अपनी योजनाओं में आवासीय व व्यवसायिक स पत्तियों
के आवंटियों को 31 जुलाई तक किश्त जमा करने की सुविधा दी है। कोई भी आवंटी
जून तक की किश्त बिना जीएसटी के 31 जुलाई तक जमा कर सकता है।
विभिन्न
योजनाओं में एलडीए अपनी व्यवसायिक सम्पत्तियों की नीलामी 9 जुलाई को करने
जा रहा है। भूखंड, दुकानें व हॉल के लिए नीलामी के बाद आवंटियों को जीएसटी
के साथ पैसा देना होगा। इससे पहले के मुताबिक 3 से 12 लाख तक प्रापर्टी
महंगी हो जाएगी।