इसके अलावा उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (Gunda Control Bill) (संशोधन) विधेयक 2021 विधानसभा में पास हुआ। यह कानून यूपी के पुलिस कमिश्नरेट वाले जिलों में लागू होगा। हालांकि अभी राज्य में दो पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था लखनऊ और नोएडा में लागू है। पुलिस कमिश्नरेट को मजबूत करने के लिए विधेयक विधानसभा में पास हुआ है। पहले केवल पुलिस कमिश्नर को अधिकार था। अब इस विधेयक के पास होने के बाद डीसीपी को भी गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की ताकत दे दी जाएगी। विधानसभा से अब इसे विधान परिषद भेजा जाएगा। इसके बाद राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही लागू हो जाएगा।
पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को मिलेगी मजबूती
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि गुंडा नियंत्रण विधेयक से पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। अब लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में DCP गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकेंगे। पहले ये अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास था। विधेयक में मानव तस्करी, मनी लॉड्रिंग, गोहत्या, बंधुआ मजदूरी और पशु तस्करी पर कड़ाई से रोक लगाने का प्रावधान है। इसके अलावा जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार, अवैध हथियारों का निर्माण और व्यापार, अवैध खनन जैसे अपराधों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। गुंडा एक्ट में पकड़े गए अपराधियों की आसानी से जमानत नहीं हो पाएगी। इसके अलावा अपराधियों की संपत्ति भी जब्त की जाएगी।
नए प्रावधान के तहत पुलिस अपराधियों को 14 दिन के बजाय अधिकतम 60 दिन के लिए बंद कर सकती है। इसके अलावा दूसरा विधेयक उत्तर प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक 2021 को इस सदन में प्रस्तुत करते हुए पास किया गया। वहीं सरकार ने सोमवार को विधानसभा में सदन की कार्यवाही के दौरान तीन विधेयक वापस लिए गए हैं। विधेयकों के वापस लिए जाने का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने रखा।
यह तीन विधेयक सरकार ने लिये वापस
1. उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक-2019 विधानमंडल द्वारा पारित होने के बाद राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा गया था। राज्यपाल ने उसे पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया। विधानसभा में सोमवार को सरकार ने इसे वापस ले लिया है।
2. उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (संशोधन) विधेयक-2017 को भी राज्यपाल ने पुनर्विचार के लिए भेजा था, जिसे सरकार ने सदन के पटल पर रखकर वापस ले लिया है।
3. भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) ( उत्तर प्रदेश संशोधन ) विधेयक-2017 को विचार के लिए राज्यपाल ने भेजा था। विधानसभा में सोमवार को पुनर्विचार के लिए रखा गया और सरकार ने इसे वापस ले लिया है।