scriptबागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्‍त्री को समर्थन देने वाले यूपी के जगदगुरु रामभद्राचार्य कौन हैं? | Guru Rambhadracharya of Dhirendra Shastri of Bageshwar Dham | Patrika News

बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्‍त्री को समर्थन देने वाले यूपी के जगदगुरु रामभद्राचार्य कौन हैं?

locationलखनऊPublished: Jan 27, 2023 07:07:49 am

Submitted by:

Upendra Singh

बागेश्वार धाम के धीरेंद्र शास्त्री के वीडियोज तो आप रोज देख रहे हैं। लेकिन क्या आप उनके गुरु को जानते हैं। उनका नाम है जगदगुरु रामभद्राचार्य। ये वही शख्स हैं, जिनकी अयोध्या राम मंदिर मामले में सु्प्रीम कोर्ट में दी गवाही को भी साक्ष्‍य माना गया था।

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जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था। उनका नाम गिरधर मिश्रा था। सरयूपारीण ब्राह्मण कुल के वशिष्ठ गोत्र में जन्में रामभद्राचार्य की आंखें मात्र दो महीने की उम्र में ही चली गई।

दरअसल, उन्हें ट्रकोम नाम की बीमारी हुई थी। गांव की महिला ने कोई दवा डाली तो आंखों से खून निकलने लगा। उनका इलाज हुआ, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा है कि मैने उसे मंत्र दिया है। वो जो लोगों को बता रहा है। सही कर रहा है। आइए आपको इनके गुरु की पूरी कहानी बताते हैं।

https://youtu.be/h3xpZiq7mGQ

महज 3 साल की उम्र में ही अपनी रचना सुना दी
बचपन में ही आंख जाने के बाद उनके दादा ने उन्हें पढ़ाया। दादा ने ही रामायण, महाभारत, सुखसागर, प्रेमसागर, ब्रजविलास जैसे किताबों का पाठ कराया। उन्होंने महज 3 साल की उम्र में ही अपनी रचना अपने दादा को सुनाई तो सब दंग रह गए।

रचना थी- मेरे गिरिधारी जी से काहे लरी। तुम तरुणी मेरो गिरिधर बालक काहे भुजा पकरी। सुसुकि सुसुकि मेरो गिरिधर रोवत तू मुसुकात खरी। तू अहिरिन अतिसय झगराऊ बरबस आय खरी। गिरिधर कर गहि कहत जसोदा आंचर ओट करी। इसका अर्थ यह है कि हे यशोदा, तुम मेरे गिरधारी से क्यों लड़ी। मेरे गिरधर की कोमल बाहों को क्यों पकड़ा। मेरा गिरधर सिसक-सिसक कर रो रहा है। और तुम मुस्कुराती खड़ी हो। तुम यादव कुल की झगड़ारू महिला हो।

जगद्गुरु को 22 भाषाओं का है ज्ञान
जगद्गुरु रामभद्राचार्य 22 भाषाओं में पारंगत हैं। संस्कृत और हिंदी के अलावा अवधि, मैथिली में 80 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं। इसमें दो संस्कृत और दो हिंदी के महाकाव्य भी शामिल हैं।

2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित हुए
तुलसीदास पर देश के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में से उन्हें एक माना जाता है। उन्हें साल 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। इन्होंने संत तुलसीदास के नाम पर चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना की। चित्रकूट के जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन चांसलर हैं। रामानंद संप्रदाय के चार जगद्गुरु में से वे एक हैं। साल 1988 में उन्होंने यह पद मिला है।

जज ने भी भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार माना
सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद में गवाही दी थी। वेद-पुराणों उदाहरणों के साथ उनकी गवाही का कोर्ट भी कायल हो गया था। जगद्गुरु के बयान ने फैसले का रुख मोड़ दिया। सुनवाई करने वाले जस्टिस ने भी इसे भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार माना। एक व्यक्ति जो देख नहीं सकते, कैसे वेदों और शास्त्रों के विशाल संसार से उद्धहरण दे सकते हैं, इसे ईश्वरीय शक्ति ही मानी जाती है।

साधना से सबकुछ संभव है
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चमत्कार को लेकर पत्रकारों ने सवाल पूछा तो नेपोलियन की कही बात का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “नेपोलियन ने कहा था मूर्खों के डिक्सनरी में असंभव शब्द होता है। साधना से सबकुछ संभव है।”

रामभद्राचार्य बोले-मंत्रों के अधीन होते हैं देवता
उन्होंने कहा, “मंत्रों के अधीन देवता होते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाह‌िए। ईर्ष्या से विरोध हो रहा है। तर्क वेद शास्‍त्र से होना चाह‌िए। कुतर्कों से नहीं होना चाह‌िए। उसकी उन्नती लोग देख नहीं पा रहे हैं।”

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