हरछठ पर ऐसे करें पूजा
जालौन निवासी ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि हरछठ (हलषश्ठी) पर्व भारत में शहरी क्षेत्रों की तुलना में कृषि समुदायों या ग्रामीण इलाकों में ज्यादा फेमस है।हरछठ (हलषश्ठी) पर्व पर सभी विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और सुबह जल्दी उठकर स्नान कर हरछठ पूजा (Har Chhath Puja) की तैयारी में लग जाती है। इस दिन सभी विवाहित महिलाएं पूजा के समय भगवान बलराम की व्रत कथा सुनती है और अपने पति के लिए लम्बी आयु की कामना करती है। इसके साथ ही पूरे दिन बिना कुछ खाये उपवास रखती हैं। इस व्रत के दौरान महिलाएं पूरे दिन फल या छोटा भोजन भी करने से बचती हैं। जिससे उनके व्रत में किसी प्रकार का कोी व्यवधान न आए।
शास्त्रों के अनुसार
शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि महाभारत में देवी उत्तरा ने अपने नर बच्चे के कल्याण के लिए भगवान कृष्ण की सलाह ली थी और अपने नष्ट गर्भ को ठीक करने के लिए हरछठ (हलषश्ठी) व्रत रखकर पूजा की थी। बस उसी समय से हिन्दू धर्म में हरछठ (हलषश्ठी) का पर्व पूरे भारत भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने लगा। बता दें कि इस्कॉन मंदिर में, भगवान बलराम की जयंती श्रवण पूर्णिमा (रक्षा बंधन के उसी दिन) पर मनाई जाती है। ऐसे कई अन्य स्थान हैं जहां भगवान बलराम के भजन कीर्तन और कथा की पूजा मथुरा, वृंदावन, ब्रजभूमि और भगवान कृष्ण मंदिर जैसे की जाती है।
हरछठ (हलषश्ठी) व्रत की विशेषताएं और महत्व
1. हरछठ के पर्व पर हल की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।
2. इस दिन भैस के दूध व दही का सेवन करना शुभ माना गया है।
3. इस दिन अन्न तथा फल खाने का भी विशेष महत्व है।
4. इस दिन महुए की दातुन करना बहुत ही लाभकारी है।
5. यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए।
6. हरछठ के दिन दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को ही कुछ खाना चाहिए।