हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए पीडि़त परिवार पुलिस सुरक्षा के साथ दोपहर को पहुंचा। अपरान्ह 2.15 बजे कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और एसपी हाथरस कोर्ट में मौजूद थे। जबकि, पीडि़त पक्ष की ओर से परिवार के 5 सदस्य कोर्ट रूम में मौजूद रहे।
सुनवाई के दौरान पीडि़त परिवार ने कहा, पुलिस ने शुरुआत से ही जांच सही नहीं की और न ही मदद की, बल्कि हमें परेशान किया गया। शुरू में तो एफआईआर भी नहीं लिखी गई। परिवार की सहमति के बगैर ही रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान डीएम ने भी अनुचित दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि हमें पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है।
दिल्ली या मुबंई शिफ्ट हो मामला
इससे पहले कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच सोमवार सुबह 5 बजे पीडि़त परिवार को हाथरस से लाया गया। परिवार के पांच सदस्यों में पीडि़ता के माता-पिता, दो भाई और एक भाभी लखनऊ पहुंचीं। सभी को हाईकोर्ट के पास स्थित उत्तराखंड भवन में ठहराया गया। रविवार रात को पीडि़त परिवार ने लखनऊ जाने से मना कर दिया था। पीडि़त के भाई ने कहा कि रात में हमारे साथ कुछ भी हो सकता है। हमें प्रशासन पर भरोसा नहीं है। सुनवाई से पहले परिवार ने मामले को दिल्ली या मुबंई शिफ्ट करने की बात कही।
14 सितंबर को हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप की वारदात हुई थी। गांव के ही चार युवकों पर आरोप लगा था, फिलहाल सभी जेल में हैं। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीडि़त की मौत हो गई। हालांकि, पुलिस का फॉरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा है कि युवती के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था। राज्य सरकार की सिफारिश पर मामले में सीबीआई जांच शुरू हो चुकी है।