लखनऊ

बच्चे के लिए माँ का दूध फायदेमंद , दूर होगा डायरिया

बच्चे को स्तनपान कराएँ, डायरिया दूर भगाएं

लखनऊApr 19, 2019 / 01:11 pm

Ruchi Sharma

स्तनपान व छ्ह माह बाद अनुपूरक आहार को बढ़ावा देने को “माँ” प्रोग्राम पर ज़ोर

लखनऊ. मौसम जैसे ही बदलता है संक्रामक बीमारियां अपने पांव पसारने लगती हैं, जिनमें बुखार, जुकाम व डायरिया(दस्त) मुख्य हैं। यदि इन बीमारियों का समय से इलाज किया जाता है तो इनसे बचा जा सकता है, नहीं तो यह जानलेवा साबित हो सकती हैं। अधिकतर लोग डायरिया को गंभीरता से नहीं लेते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चों को दस्त तो होते ही रहते हैं और स्वयं ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन डायरिया बेहद खतरनाक और जानलेवा बीमारी है। डायरिया से बच्चे के शरीर में पानी, नमक और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। एक बार डायरिया होने पर बच्चे का शरीर कमजोर और कुपोषित हो जाता है, उसकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, वह किसी भी बीमारी से आसानी से संक्रमित हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप बार-बार बीमार होने से बच्चा और भी कुपोषित व कमजोर होता चला जाता है।
क्या होता है डायरिया ?

चौबीस घंटों में 3 या 3 से अधिक बार पतला मल होने को डायरिया या दस्त कहते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-2016) रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में 14.2% व ग्रामीण क्षेत्रों में 15.2% बच्चे डायरिया से ग्रसित पाये गए | जबकि लखनऊ जिले में शहरी क्षेत्रों में 8% व ग्रामीण क्षेत्रों में 11.9% बच्चे डायरिया से ग्रसित पाये गए |
डॉ. सलमान, बाल रोग विशेषज्ञ, रानी अवन्तीबाई जिला महिला चिकित्सालय बताते हैं कि बाल मृत्यु के प्रमुख कारणों में 6 माह की उम्र तक सिर्फ स्तनपान की कमी, कुपोषण , पूर्ण प्रतिरक्षित न होना, स्वच्छ पेयजल का अभाव एवं साबुन से हाथ न धोने की आदत एवं समय से ओ.आर.एस., जिंक की अनुपलब्धता प्रमुख है |
डायरिया के लक्षण

यदि बच्चे को 24 घंटों में तीन या उससे अधिक दस्त आ रहे हों जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो, माँ के अनुसार शिशु के मल त्याग की आवृत्ति सामान्य से कहीं ज्यादा हो, बच्चा सुस्त हो, उसक आँखें धँसी हुयी हो, उनको कुछ भी पी पाने में कठिनाई हो रही हो तथा पेट की त्वचा भरें पर बहुत धीरे से वापिस जाती हो | ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए |
डॉ. सलमान बताते हैं कि बदलते मौसम के साथ डायरिया में वृद्धि होती है | अतः अभिभावकों को इस समय में अपने बच्चों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है | इस समय में माताओं को अपने बच्चों को 6 माह तक केवल स्तनपान कराने की आवश्यकता है और 6 माह उपरांत पूरक आहार देना चाहिए जिससे बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे | अक्सर माताओं को यह पता नहीं होता है कि 6 माह के बाद क्या दें ? वे दाल का पानी, चावल का पानी आदि चीज़ें देने लगती हैं जबकि 6 माह के बाद बच्चे तीव्रता से बढ़ते हैं तथा उन्हें अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है | जो केवल स्तनपान या दाल का पानी पिलाने से पूर्ण नहीं होती है | अतः 6 माह के ऊपर वाले बच्चों की माताओं को स्तनपान के साथ-साथ बच्चों को ऊपरी आहार में दाल, दलिया, खिचड़ी, मसला हुआ आलू, घी व तेल, हरी सब्जियाँ थोड़ा-थोड़ा करके दिन में 3-4 बार खिलाना चाहिए | इसके अलावा बच्चों का पूर्ण टीकाकारण कराना चाहिए जिससे बच्चा स्वस्थ रहे | ज़िंक और ओ.आर.एस. समय-समय पर देना चाहिए | स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए | साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोने की व्यवहार को अपनाएँ |
ओ.आर.एस. और ज़िंक

डॉ. सलमान बताते हैं कि दस्त शुरू होते ही बच्चे को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित ओ.आर.एस. ( जीवन रक्षक घोल) तथा ज़िंक की गोलियां देना शुरू करना चाहिए | ओ.आर.एस. का घोल दस्त से बच्चे के शरीर में होने वाली पानी, नमक तथा अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है | ओ.आर.एस. के पैकेट आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी केन्द्रों तथा स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त मिलते हैं | डायरिया में बच्चे को ओ.आर.एस. के साथ ज़िंक की गोली गोली भी 14 दिन तक देनी चाहिए | 2 माह से 6 माह तक के बच्चों को ज़िंक की आधी गोली (10 मिग्रा ) व 6 माह से 5 साल तक के बच्चों को ज़िंक की 20 मिग्रा की 1 गोली साफ पानी या दूध में घोलकर देनी चाहिये | यदि हम सही समय पर इन लक्षणों को पहचान लें तब हम कई बच्चों की जान बचा जा सकते हैं | इसके साथ ही साथ हमें बगैर चिकित्सक की सलाह के एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए |
डायरिया से जुड़ी भ्रांतियां व वास्तविकता

लोग मानते हैं कि बच्चे को नज़र लग गयी है, धात्री महिला द्वारा खान-पान में लापरवाही हुई है | माँ को ठंड लग गयी है, माँ ने खट्टी या ठंड लगने वाली चीज़ खायी है, या माँ ने गर्मी से आकर बच्चे को दूध पिलाया है तथा जब बच्चे के दाँत निकलते हैं तब स्वाभाविक रूप से दस्त होते हैं | जबकि तथ्य है कि डायरिया होने का प्रमुख कारण रोगाणु या जीवाणु होते हैं | जब ये कीटाणु या रोगाणु भोजन, पानी, हमारे हाथों से या अन्य किसी तरीके से हमारे शरीर में पहुँचते हैं तब डायरिया होता है |

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