वहीं कुछ युवाअों ने इस फैसले को सही ठहराया है। कभी- कभी रिलेश्नशिप में चीजे ज्यादा लंबी नहीं चल पाती है। कुछ बातों से रिश्ते टूट जाते है। फिर उसका गलत उपयोग किया जाता है। पर कोर्ट के इस फैसले से एेसी खबरों रोक लगेगी।
न्यायमूर्ति विभु भाखरू ने कहा, ‘जहां तक यौन संबंध बनाने के लिए सहमति का सवाल है, 1990 के दशक में शुरू हुए अभियान ‘न मतलब न’, में एक वैश्विक स्वीकार्य नियम निहित है। मौखिक ‘न’ इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यौन संबंध के लिए सहमति नहीं दी गई है।’ उन्होंने कहा, ‘यौन सहमति पर ‘न का मतलब न’ से आगे बढ़कर, अब ‘हां का मतलब हां’ तक व्यापक स्वीकार्यता है। इसलिए यौन संबंध स्थापित करने के लिए जब तक एक सकारात्मक, सचेत और स्वैच्छिक सहमति नहीं है, यह अपराध होगा।’