हाईकोर्ट ने shiksha mitra को पैराटीचर का दर्जा दिया है और उन्हें सहायक अध्यापक के सृजित पद पर तैनाती नहीं दी गई है। लिहाजा उसे शिक्षक के तौर पर गिनना गलत है। दरअसल सरकार ने शिक्षामित्रों को उनके मौलिक तैनाती वाले स्कूलों में वापसी का विकल्प दिया है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि यदि वहां शिक्षक ज्यादा है तो उन्हें हटाया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की गिनती करते समय उसे उसमें शिक्षामित्रों को नहीं जोड़ा जा सकता, क्योंकि वे संविदा पर नियुक्त है और Supreme Court ने उनका समायोजन निरस्त कर दिया है। ऐसे में शिक्षा मित्रों को उनके मूल पदों पर तैनाती दिन में सहायक अध्यापक को नहीं हटाया जा सकता। शासनादेश के मुताबिक यदि शिक्षामित्र की तैनाती वाले स्कूल में अध्यापक ज्यादा हो रहे हैं तो कनिष्ठ अध्यापक का समायोजन दूसरे स्कूल में होगा लेकिन शिक्षामित्रों को हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षामित्र को शिक्षक मानना बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 का उल्लंघन है। शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
क्या था कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाए गए 1.70 लाख Shiksha Mitra Samayojan को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने इससे संबंधित सरकार के सभी प्रशासनिक आदेशों सहित बेसिक शिक्षा नियमावली में किए गए संशोधनों और उन्हें दिए गए दो वर्षीय दूरस्थ शिक्षा प्रशिक्षण को भी असंवैधानिक और अवैध करार दिया था।