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Allahabad High Court से Shiksha Mitra को बड़ा झटका, सहायक अध्यापकों को राहत

locationलखनऊPublished: Sep 14, 2018 03:57:34 pm

Allahabad High Court ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि Shiksha Mitra की स्कूलों में तैनाती देने के लिए शिक्षकों को नहीं हटाया जा सकता है।

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हाईकोर्ट से शिक्षामित्रों को बड़ा झटका, सहायक अध्यापकों को राहत

लखनऊ. अब शिक्षामित्रों की भर्ती के लिये शिक्षकों के पद को हटाया नहीं जाएगा। Allahabad High Court ने दो अलग अलग मामलों में फैसला सुनाया है। शिक्षामित्रों को भले ही बेसिक शिक्षा विभाग सहायक अध्यापक पद नहीं मान रहा हो पर जनशक्ति निर्धारण में उसे शिक्षक के तौर पर गिना जा रहा है। हाईकोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में फैसला सुनाते हुए कहा है कि शिक्षामित्रों की स्कूलों में तैनाती देने के लिए शिक्षकों को नहीं हटाया जा सकता है।

हाईकोर्ट ने shiksha mitra को पैराटीचर का दर्जा दिया है और उन्हें सहायक अध्यापक के सृजित पद पर तैनाती नहीं दी गई है। लिहाजा उसे शिक्षक के तौर पर गिनना गलत है। दरअसल सरकार ने शिक्षामित्रों को उनके मौलिक तैनाती वाले स्कूलों में वापसी का विकल्प दिया है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि यदि वहां शिक्षक ज्यादा है तो उन्हें हटाया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की गिनती करते समय उसे उसमें शिक्षामित्रों को नहीं जोड़ा जा सकता, क्योंकि वे संविदा पर नियुक्त है और Supreme Court ने उनका समायोजन निरस्त कर दिया है। ऐसे में शिक्षा मित्रों को उनके मूल पदों पर तैनाती दिन में सहायक अध्यापक को नहीं हटाया जा सकता। शासनादेश के मुताबिक यदि शिक्षामित्र की तैनाती वाले स्कूल में अध्यापक ज्यादा हो रहे हैं तो कनिष्ठ अध्यापक का समायोजन दूसरे स्कूल में होगा लेकिन शिक्षामित्रों को हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षामित्र को शिक्षक मानना बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 का उल्लंघन है। शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

क्या था कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाए गए 1.70 लाख Shiksha Mitra Samayojan को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने इससे संबंधित सरकार के सभी प्रशासनिक आदेशों सहित बेसिक शिक्षा नियमावली में किए गए संशोधनों और उन्हें दिए गए दो वर्षीय दूरस्थ शिक्षा प्रशिक्षण को भी असंवैधानिक और अवैध करार दिया था।

 

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