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यूपी विधानसभा अध्यक्ष को हाईकोर्ट से नोटिस, कांग्रेस की याचिका पर सुनाया फैसला

locationलखनऊPublished: Jun 24, 2020 06:40:25 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने मामले को हाईकोर्ट तक पहुंचाया था- अदिति सिंह और राकेश सिंह को भी हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, अगली सुनवाई 14 जुलाई को

यूपी विधानसभा अध्यक्ष को हाईकोर्ट से नोटिस, कांग्रेस की याचिका पर सुनाया फैसला

यूपी विधानसभा अध्यक्ष को हाईकोर्ट से नोटिस, कांग्रेस की याचिका पर सुनाया फैसला

लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदयनाराण दीक्षित को नोटिस जारी किया है। यूपी कांग्रेस ने उन पर विधायक अदिति और राकेश सिंह को अयोग्य ठहराये जाने की याचिका लटकाए रखने का आरोप लगाया है। जस्टिस दिनेश कुमार सिंह और पंकज कुमार जयसवाल की बेंच ने विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह को भी अलग-अलग नोटिस जारी किया है। मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने मामले को हाईकोर्ट तक पहुंचाया। कोर्ट ने यह फैसला बीते दिनों सुनाया था।
रायबरेली सदर से अदिति सिंह और हरचंदपुर से राकेश सिंह कांग्रेस विधायक हैं। दोनों पार्टी के खिलाफ बागी तेवर अपनाए हैं और कई मुद्दों पर पार्टी स्टैंड के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। कांग्रेस की ओर से दोनों को अयोग्य ठहराने की याचिका विधानसभा अध्यक्ष को दी गई। कांग्रेस पार्टी के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों के निपटारे की समय सीमा तीन माह तय कर रखा है।
राकेश सिंह : पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप
रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक राकेश सिंह पर आराधना मिश्रा ने आरोप लगाया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। उस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी की बजाय अपने भाई व बीजेपी प्रत्याशी दिनेश की मदद की। 31 मई 2019 को विधानसभा अध्यक्ष के पास राकेश सिंह को अयोग्य ठहराने की याचिका दी गई थी।
अदिति सिंह : पार्टी व्हिप के उल्लंघन का मामला
02 अक्टूबर 2019 को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए अदिति सिंह ने योगी सरकार द्वारा आहूत विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लिया था। कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व की नाराजगी के बाद 26 नवंबर 2019 को उनको अयोग्य ठहराने की याचिका विधानसभा अध्यक्ष के पास डाली गई थी। तबसे कई मुद्दों पर उनके बयान पार्टी गाइडलाइन से हटकर आए हैं।

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