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लखनऊ

डॉक्टरों के लिए चेतावनी, गन्दी राइटिंग में दवा लिखी तो लगेगा जुर्माना

हाईकोर्ट लखनऊ के एक आदेश ने चिकित्सालय के डॉक्टर के मुसीबत खड़ी दी है।

लखनऊSep 26, 2018 / 02:59 pm

Mahendra Pratap

High Court warning to doctors for writing

डॉक्टरों के लिए चेतावनी, गन्दी राइटिंग में दवा लिखी तो लगेगा जुर्माना

लखनऊ. हाईकोर्ट लखनऊ के एक आदेश ने चिकित्सालय के डॉक्टर के मुसीबत खड़ी दी है। लखनऊ हाईकोर्ट ने सभी चिकित्सालय के डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए हैं कि जो डॉक्टर पर्चों पर दवाइयों के नाम लिखते हैं या फिर कोई मेडिकल रिपोर्ट तैयार करते हैं। उन र्पोर्टों के किसी के दवारा न पढ़ पाने या समझ पाने पर 10 हजार का जुर्माना देना होगा। इसलिए सभी डॉक्टर मेडिकल रिपोर्ट साफ राइटिंग में लिखे ताकि लोगों को समझ में आ सकें और पढ़ने में कोई परेशानी न हो।

टेढ़ी-मेढ़ी और अस्पष्ट लिखावट न पढ़ पाने पर डॉक्टर को किया तलब

हाईकोर्ट ने टेढ़ी-मेढ़ी और अस्पष्ट लिखावट न पढ़ पाने पर डॉक्टर को तलब किया है और उनसे पूछा कि उनके द्वारा तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट क्या कोई पढ़ सकता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि डॉक्टरों से जो जुर्माना लिया जाएगा, वह जुर्माना डॉक्टरों के वेतन से वसूल लिया जाएगा। कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता को उक्त डॉक्टर की उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है और कहा है कि डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट से मुकदमों के त्वरित निस्तारण में बाधा आती है।

कोर्ट ने रिपोर्ट तैयार करने वाले सीतापुर जिला चिकित्सालय के उक्त डॉक्टर को तलब किया है। याचिका में सूचनाकर्ता की जिस इंजरी रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, उस पर न तो डॉक्टर का नाम और पदनाम दर्ज है, न ही अस्पताल की मुहर लगी है। कोर्ट ने अगली तारीख पर टाइप की गई कॉपी के साथ पेश न होने पर 10 हजार रुपये हर्जाने का आदेश दिया है।

यह मामला आया था सामने

बता दें कि जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच के सामने मंगलवार को हत्या के प्रयास का एक मामला सुनवाई के लिए आया था। पप्पू सिंह आदि ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर उनके खिलाफ सीतापुर के तम्बौर थाने पर दर्ज हत्या के प्रयास से संबंधित एफआईआर रद करने की मांग की थी।

तब याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि सूचनाकर्ता की मेडिको लीगल रिपोर्ट घटना के चार दिन बाद की है। रिपोर्ट में उसमें जो चोटें बताई गई हैं, वह भी साधारण प्रकृति की हैं, जिससे हत्या के प्रयास का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने जब इंजरी रिपोर्ट पढ़नी चाही तो वह काफी ज्यादा टेढ़ी-मेढ़ी और अस्पष्ट थी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले भी आदेश दिया गया था कि मेडिको लीगल रिपोर्ट स्पष्ट होनी चाहिए, लेकिन डॉक्टरों के रवैये में बदलाव नहीं दिख रहा है।

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