लखनऊ. राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 को यूपी के वाराणसी के ग्राम भभोरा में एक छोटे से किसान परिवार में हुआ था। वें अपना 67 वां जन्मदिन मना रहे है। इसमें कोई शक नहीं है कि राजनाथ सिंह कद्दावर नेताओं में से एक हैं। वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को बार संभालने वाले राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उनके पिता राम बदन सिंह और मां का नाम गुजराती देवी थी। अाइए आपको बताते हैं उनसे जुड़े कुछ अनसुने तथ्य बताते हैं। एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे राजनाथ सिंह आज किसी परिचय के मुंहताज नहीं है। अब वे भारतीय जनता पार्टी के एक कुशल प्रशासक के रूप में पहचाने जाते हैं। राजनाथ सिंह महज 13 साल की उम्र में 1964 से संघ से जुड़ गए। बताया जाता है कि कॉलेज लाइफ में राजनाथ सिंह अपनी क्लास अटेंड करने की बजाए संघ के शिविरों में जाया करते थे। वे कई बार क्लास से बंक मारकर संघ के शिविर में जाते थे। राजनाथ सिंह ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में प्रथम श्रेणी में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है। इसके बाद मिर्जापुर के डिग्री कालेज में स्पॉक पर्सन के पद पर काम किया। राजनाथ सिंह के बारे में ये बात शायद किसी को मालूम नहीं होगी कि एक समय ऐसा भी था जब उनकी सैलरी एक चपरासी से भी कम थी। जी हां, पद से रिटायर होने के बाद उन्हें सिर्फ 1,350 रुपए पेंशन के तौर पर मिलते थे। उन्होंने साल 2000 में वहां से रिटायरमेंट लिया था। बताया जाता है कि रिटायरमेंट के बाद राजनाथ सिंह की पेंशन के कुल 9,500 रुपए बने, लेकिन उन्होंने यह धनराशि लेने से साफ इनकार कर दिया। उत्तर प्रदेश में 1991 की कल्याण सिंह सरकार में शिक्षामंत्री रहे राजनाथ सिंह मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू कराने के लिए काफी चर्चित हैं।
राजनाथ सिंह महज 13 साल की उम्र में 1964 से संघ से जुड़ गए। बताया जाता है कि कॉलेज लाइफ में राजनाथ सिंह अपनी क्लास अटेंड करने की बजाए संघ के शिविरों में जाया करते थे। वे कई बार क्लास से बंक मारकर संघ के शिविर में जाते थे।
-उत्तर प्रदेश में 1991 की कल्याण सिंह सरकार में शिक्षामंत्री रहे राजनाथ सिंह मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू कराने के लिए काफी चर्चित हैं।
राजनाथ सिंह ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में प्रथम श्रेणी में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है। इसके बाद मिर्जापुर के डिग्री कालेज में स्पॉक पर्सन के पद पर काम किया।
- एक समय ऐसा भी था जब उनकी सैलरी एक चपरासी से भी कम थी