honer those people who work according to constitution
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल
राम नाईक ने आज
लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय हाॅल में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच एवं राष्ट्रीय एकता मिशन द्वारा आयोजित संगोष्ठी ‘राष्ट्रीय सामाजिक एकता ही विकास का मार्ग है’, पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संविधान के तहत
काम करना ही सच्चा राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रधर्म है। भाषा, वेश, खान-पान, पूजा पद्धति अलग-अलग हो सकती है लेकिन देशवासियों का कर्तव्य है कि देश के प्रति निष्ठा एवं वफादारी बनाएं रखें। धर्म को लेकर गलत धारणायें न पैदा हों, इसका विचार करना चाहिए। भारतीय संस्कृति पूरे विश्व को परिवार मानती है। समाज में नफरत और कटुता का कोई स्थान नहीं है। पूजा पद्धति के लिए सभी देशवासी स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से समाज में यही संदेश जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ था तथा 1950 में संविधान ने सभी भारतवासियों को समान न्याय का अधिकार दिया है। संविधान सभा के सदस्यों ने चर्चा के माध्यम से संविधान को अंतिम रूप दिया तथा संविधान को शब्द बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने दिए। डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू,
सरदार वल्लभ भाई पटेल , पी0 सीता रामय्य, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डाॅ0 भीमराव आंबेडकर, शेख मोहम्मद अब्दुल्लाह, नीलम संजीव रेड्डी सहित अन्य सदस्यों ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान के अनुसार विधायिका का काम कानून बनाना है और यदि कानून के आधार पर काम न हो तो उसका फैसला न्यायालय करती है।
श्री नाईक ने शिक्षित समाज पर जोर देते हुए कहा कि वे 28 विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। वर्ष 2016-17 शैक्षणिक सत्र हेतु सम्पन्न दीक्षांत समारोहों में 15 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई हैं जिनमें 7.97 लाख छात्राओं को उपाधि मिली है। लगभग 66 प्रतिशत छात्राओं को उच्च शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पदक भी दिए गए हैं। समाज में छात्राओं का बदलता चित्र 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा आरम्भ की गई ‘सर्व शिक्षा योजना’ तथा वर्तमान प्रधानमंत्री श्री
नरेन्द्र मोदी की ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं’ का परिणाम है। उन्होंने कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने में समाज समर्थन करें।
नाईक ने कार्यक्रम में नोएडा की जीनत आरा जो दिव्यांग भी है की पुस्तक ‘एक्सट्रा आर्डनरी डिजायर टू विन’ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच एवं राष्ट्रीय एकता मिशन द्वारा दिव्यांगजनों, समाज में विशिष्ट सेवा करने वाली विशेषकर मुस्लिम महिलाओं तथा तलाकशुदा महिलाओं को सहायता राशि प्रदान की गई। राज्यपाल ने कहा कि इच्छाशक्ति हो तो जो बोल नहीं सकता, वह बोलने लगता है और जो पैर से मजबूर है वह भी पहाड़ चढ़ सकता है। समाज ऐसे दिव्यांग और वंचित लोगों का सहयोग करे तथा उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करे। विश्व को परिवार मानकर एक-दूसरे का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि समाज अच्छा काम करने वालों का सम्मान करें।
इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, कुंवर आजम खां अध्यक्ष मुस्लिम कारसेवक मंच, डाॅ0 शबाना आजमी, स्वामी मोरारी दास, डाॅ0 हरमेश चैहान सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।