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होरी गयी यदि कोरी हमारी, फागुन गांव में आने ना दूंगी

locationलखनऊPublished: Mar 18, 2019 11:21:11 am

Submitted by:

Hariom Dwivedi

अवधी फागोत्सव के ग्यारहवें दिन रंगे बिरंगे गीतों से सजी अवध की शाम

 Holi 2019 in Mathura Vrindavan

होरी गयी यदि कोरी हमारी, फागुन गांव में आने ना दूंगी

RITESH SINGH

लखनऊ, सुख और दुख की अनुभूतियां हमारे लोक गीतों में भरी पड़ी हैं। मिलन का त्योहार होरी है, ऋतु बसन्त है, पिया विदेस हैं, विरहिन की मनोदशा गीत में ढलकर रविवार को जब सामने आई तो लोग भाव विभोर हो गये। मौका था अवधी फागोत्सव के अन्तर्गत चल रही संगीत बैठकी का।
लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा ग्यारहवें दिन की होली बैठकी अपर पुलिस महानिदेशक असित कुमार पाण्डा के पुलिस इन्कलेव स्थित आवास पर जमी जहां लोगों ने जमकर फाग गाया। कार्यक्रम की शुरुआत आरती पाण्डेय ने गणेश वन्दना से की।
सुमन पाण्डा ने ‘होरी गयी यदि कोरी हमारी, फागुन गांव में आने ना दूंगी’ गाया। वरिष्ठ संगीतकार केवल कुमार ने ‘रंग डारो न’, एसएनए के पूर्व अध्यक्ष अच्छेलाल सोनी ने ‘जोगीरा सर रररर’, युगल गायिका यामिनी-कामिनी ने ‘बाबा काशी विश्वनाथ गौरा संंग खेलत होली’ गाया। बैठकी में उमा त्रिगुणायत, पुष्पलता अग्रवाल, सर्वेश माथुर, राखी अग्रवाल, सौरभ कमल, भावना शुक्ला, गौरव गुप्ता, भूषण अग्रवाल, एस.पी.साहू, भारती श्रीवास्तव, सुषमा अग्रवाल, डा. विनीता सिंह, शिखा श्रीवास्तव, संगीता खरे, जयप्रकाश कुलश्रेष्ठ आदि के साथ ही क्षेत्रीय लोगों ने पारम्परिक फाग गाये तथा एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं।
लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि लुप्त हो रही होली बैठकी की परम्परा को आगे बढ़ाने की दृष्टि से संस्थान द्वारा अवधी फागोत्सव के अन्तर्गत पिछले 11 दिनों से प्रतिदिन बैठकी की जा रही है।

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