लखनऊ

यूपी की जेलों का हाल-जितना पैसा खर्च करो, उतनी सुविधाएं!

इसका कारण है सालों से एक ही जेल में जमें अधिकारी और कर्मचारी।

लखनऊJul 11, 2018 / 07:32 pm

Ashish Pandey

यूपी की जेलों का हाल-जितना पैसा खर्च करो, उतनी सुविधाएं!

लखनऊ. यूपी की जेलों का अजब हाल है। जेलों में भी पैसे का खेल चलता है। जेलों में जो कैदी जितना पैसा खर्च करता है उतनी सुविधाएं मिलती हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है। जेलों में बड़े ही स्मार्ट तरीके से काम होता है। यहां अवैध तरीके से सामान पहुंचाने का एक संगठित गिरोह होता है जो हर जरूरत की चीज को जेल के अंदर पहुंचा सकता है। बस जरूरत है कीमत दे सकने की क्षमता। जितना पैसा खर्च करेंगे उतनी सुविधाएं जेल में जुड़ती जाएंगी। एक अनुमानित आंकड़ों के अनुसार हर साल 500 ये एक हजार करोड़ रुपए से ब्लैकमनी जेलों में सामान पहुंचाने के नाम पर वसूली जाती है। यह एक बड़ा सिंडिकेट बन चुका है, इसे तोडऩे में पुलिस प्रशासन भी बेबस नजर आता है।
कारागार विभाग में तैनात रहे एक पूर्व डीजी की मानें तो इसकी जड़ें काफी मजबूत हैं। इसका कारण है सालों से एक ही जेल में जमें अधिकारी और कर्मचारी। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि यह आमतौर पर जिन जेलो में तैनात होते हैं, उन्हीं शहरों-कस्बों के रहने वाले होते हैं। इसलिए इनका नेटवर्क काफी मतबूत हो जाता है। पिछले 20 सालों में कई सरकारों ने ऐसे कर्मचारियों को हटाने का मानस बनाया और कोशिश की लेकिन इनकी कोशिशें नामाम साबित हुईं।
प्रति डाइट देने होते हैं पांच सौ

जब एक विचाराधी कैदी जिला जेल पहुंचता है और व दिन में दो बार बाहर से खाना मांगता है तो प्रति डाइट उसे 500 रुपये तक देने पड़ते हैं। इस तरह एक दिन का एक हजार रुपये का चढ़ावा वसूला जाता है। सबसे अधिक डिमांड मोबाइल फोन की होती है। यहां एक कॉल करने का रेट १०० रुपए तक हो सकता है।
यहां असलाह तक आसानी से पहुंच जाता है

यूपी की जेलों में पैसे के दम पर काफी कुछ होता है। यहां पान, मसाला-गुटखा, तंबाकू सबसे सस्ती दर पर उपलब्ध होते हैं। इसके अतिरिक्त दाढ़ी बनाने के रेजर, ब्लेड, नहाने के साबुन-शैंपू तक भी जेल के अंदर ही उपलब्ध हो जाते हैं। यही नहीं मनचाहे कपड़े, गद्दे, बेड-चारपाई भी कीमत चुकाने पर उपलब्ध हो जाते हैं। वहीं जेलों में ड्रग्स भी उपलब्ध हो जाते हैं, लेकिन सबसे महंगा सौदा इसी का होता है। ऐसे में यूपी की जेलों की व्यवस्था को दुरुस्त करना इतना आसान नहीं है।

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