क्या है पूरी प्रक्रिया? लाइसेंस बनवाने के लिए आपको एप्लीकेशन के साथ आवेदन फॉर्म जमा करना होता है। अब यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी हो गई है। ऑफलाइन प्रक्रिया में आवदेन अपने क्षेत्र के डीसीपी (लाइसेंसिंग) कार्यालय में जाकर देना होता है और कई शहरों में यह फॉर्म एसडीएम को देना होता है। वहीं, अगर पुलिस कमिश्नरेट का इलाका है, तो कमिश्नर को अर्जी जाएगी। डीएम एप्लीकेशन को जांच के लिए एसपी के ऑफिस में भेज देता है। एसपी ऑफिस से एप्लीकेशन आवेदक के थाने में जाती है। थाना अपनी रिपोर्ट एक नियत समय में लाइसेंस अधिकारी को भेज देगा। इसके बाद आपके आवेदन को मंजूरी मिलती है और कई बार यह खारिज भी कर दी जाती है।
कितने रुपये लगते हैं? वैसे तो यह निर्भर करता है कि आपको कौनसी बंदूक का लाइसेंस चाहिए। उसके आधार पर निर्धारित होती है इसकी फीस। लेकिन, ऐसा नहीं है कि इसके लिए आपको लाखों रुपये खर्च होते हैं, इसकी शुरुआत फीस 10 रुपये से शुरू है, जो 300 रुपये तक है। अगर आपको हैंडगन (पिस्टल/ रिवॉल्वर) या रिपटिंग राइफल का लाइसेंस बनवाना है तो इसकी फीस 100 रुपये है।
लाइसेंस मिलने के बाद कोई भी बंदूक रख सकते हैं? भारत में सिर्फ तीन तरह की बंदूक के लिए ही लाइसेंस जारी किया जाता है, जिसमें शॉर्टगन, हैंडगन और स्पोर्टिंग गन शामिल है। एक व्यक्ति अधिक से अधिक तीन बंदूकों का ही लाइसेंस ले सकता है और बंदूक रखने की सीमा पर पाबंदी होती है। सरकार के नियमों के अनुसार कई ऐसी बंदूकें भी है, जिन्हें आम आदमी को नहीं दिया जाता है।
लाइसेंस मिलने के बाद क्या होता है? लाइसेंस मिलने के बाद भी आपको तय प्रक्रिया के आधार पर लाइसेंस खरीदना होता है। वहीं, बंदूक खरीदने के बाद आपको स्थानीय थाने में इसकी जानकारी देनी होती है और हथियार की जानकारी भी पुलिस के पास होती है। वहीं, समय समय पर इसके बारे में जानकारी थाने में देनी होती है।