पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक ने 1973 में जो संवैधानिक प्रावधान किए थे उनका खामियाजा देश को अगले चालीस वर्षो तक भुगतना पडा, जो वहां की जनता पर एक जुल्म था।
पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक ने 1973 में जो संवैधानिक प्रावधान किए थे उनका खामियाजा देश को अगले चालीस वर्षो तक भुगतना पडा, जो वहां की जनता पर एक जुल्म था। उन्होंने यह व्यवस्था की थी कि कोई भी गैर मुस्लिम व्यक्ति देश का प्रतिनिधित्व नहीं करेगा।
पाकिस्तान के मशहूर समाचार पत्र ”डॉन” की पत्रकार रीमा अब्बासी ने यहां जयपुर साहित्य उत्सव के चौथे दिन अपनी पुस्तक ”टेम्पल्स इन पाकिस्तान” विषय पर चर्चा के दौरान कहा कि जनरल जिया उल हक ने 1970 के दशक में जिस तरह की तानाशाही दिखाई थी उसे उबरने में पाकिस्तान को कम से कम चालीस साल का समय लगा।
उस समय समाचार पत्रों के कार्यालयों में सैनिक तैनात रहते थे जो अखबार के छपने की प्रक्रिया से पहले यह जांच करते थे कि सरकार विरोधी कोई खबर तो नही जा रही है। उनकी इसी परम्परा को बाद में उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो ने भी निभाया और प्रेस के प्रति कड़ा रुख बरकरार रखा।
अब्बासी ने बताया कि पाकिस्तान में अनेक हिन्दू मंदिर है जिनमें सुबह सुबह भजन कीर्तन की आवाज आती है और इन मंदिरों में पाकिस्तान के मुसलमानों के अलावा भारत, नेपाल और श्रीलंका से लोग दर्शन करने आते है।
उन्होंने पेशावर के गोरखनाथ मंदिर और अन्य जिलों में रामापीर मंदिर और कालकागुफा मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तानी सरकार अल्पसंख्यक हिन्दुओं के हितों को लेकर सजग है। हालांकि उन्होंने यह खुलासा भी किया कि पाकिस्तान में 1998 से अब तक जनगणना नहीं हुई है जिससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय की संख्या कितनी है।
यह पूछे जाने पर कि होली, दीपावली और हिन्दुओं के अन्य त्यौहारों पर पाकिस्तानी सरकार का क्या रुख है तो उन्होंने कहा कि इन त्यौहारों पर वहां हिन्दू कर्मचारियों को छुट्टी दे दी जाती है।
अब्बासी ने अल्पसंख्यक शब्द को समाप्त करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि यह बहुत ही बेतुका शब्द है क्योंकि जिस वर्ग या समुदाय के लिए हम इसका इस्तेमाल करते है तो उनसे बहुत कुछ छीन लेते है और ऐसे वर्ग रोजगार, शिक्षा, सामाजिक अधिकार और वैधानिकता के एक छोटे से दायरे में सिमट कर रह जाते है जो एक तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन है ।
उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि हमें सहअस्तित्व जैसी विचारधारा को आगे बढाना चाहिए। पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी चपेट में आकर हमारे खुद के ही लोग एवं बच्चे मारे जा रहे है।
उन्होंने दिसम्बर 2014 में आर्मी पब्लिक स्कूल और पिछले हफ्ते बच्चा खान विश्वविद्यालय में आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद की विचारधारा कट्टर मुस्लिमों की है और उनका शिकार भी मुस्लिम समुदाय ही हो रहा है।