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समीक्षा बैठक में पहुंचे प्रभारी मंत्री का किसानों ने किया घेराव सपा बनाने में निभाई थी महत्पूर्ण जिम्मेदारीकरीब तीस साल पहले समाजवादी पार्टी का गठन हुआ था, इस पार्टी को बनाने के लिए मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल यादव ने भी उनके साथ काफी संघर्ष किया था। लेकिन आज उसी सपा में शिवपाल को अखिलेश यादव ने हाशिए पर पहुंचा दिया। जिस पार्टी को खड़ा करने में शिवपाल यादव का भी बड़ा हाथ था उसी पार्टी में उनकी ऐसी स्थिति बन गई कि वे पार्टी छोडऩे को मजबूर हो गए। अगर समाजवादी के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने चाचा शिवपाल की बात मान लेते थे आज वे पार्टी छोड़कर अलग पार्टी नहीं बनाते, लेकिन अखिलेश ने शिवपाल को कोई पद भी नहीं दिया और न ही उनको पार्टी में कोई महत्व दिया।
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शिवपाल बनाएंगे जल्द नई पार्टी, कार होगा चुनाव चिह्न …और लगातार दुरियां बनती गईंशिवपाल यादव की जिस तरह से सपा में अनदेखी की जाती रही उससे वे अंतत: मजबूर हो गए और अपनी अलग राह चुन ली। शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच विधानसभा चुनाव 2017 के पहले से दूरियां बनीं और वह लगातार बनती गईं। मुलायम सिंह यादव ने बीच में दोनों के बीच दूरियां कम करने की कोशिश की लेकिन उनकी कोशिश भी काम नहीं आई और अंतत: शिवपाल यादव ने वह निर्णय लिया जो वे शायद पार्टी में सम्मान मिलता तो नहीं लेते। बतादें कि शिवपाल यादव को विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से प्रचार के लिए भी नहीं चुना गया। शिवपाल को केवल जसवंतनगर से टिकट दिया गया और उन्होंने चुनाव लड़ा और विधायक बने। उसके बाद भी अखिलेश और शिवपाल के बीच की दुरियां कम नहीं हुईं।
सपा में टूट तय
शिवपाल यादव की सपा में काफी मजबूत पकड़ आज भी है। अब जब वे राष्ट्रीय सेक्युलर मोर्चा के गठन का ऐलान कर चुके हैं तो ऐसे में समाजवादी पार्टी में उनके शुभचिंतक उनका साथ दे सकते हैं। इससे यह तय है कि सपा में टूट होगा। सूत्रों की मानें तो पुराने समाजवादी विधायक और पदाधिकारी, कार्यकर्ता शिवपाल के साथ जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के 47 विधायक हैं। माना जा रहा है कि दस से पंद्रह विधायक टूट कर शिवपाल यादव के साथ जा सकते हैं।
शिवपाल यादव की सपा में काफी मजबूत पकड़ आज भी है। अब जब वे राष्ट्रीय सेक्युलर मोर्चा के गठन का ऐलान कर चुके हैं तो ऐसे में समाजवादी पार्टी में उनके शुभचिंतक उनका साथ दे सकते हैं। इससे यह तय है कि सपा में टूट होगा। सूत्रों की मानें तो पुराने समाजवादी विधायक और पदाधिकारी, कार्यकर्ता शिवपाल के साथ जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के 47 विधायक हैं। माना जा रहा है कि दस से पंद्रह विधायक टूट कर शिवपाल यादव के साथ जा सकते हैं।
बीते दिनों शिवपाल यादव ने कहा कि सपा ने बार-बार अपमानित किया। उन्होंने कहा कि उनका मोर्चा पूरी ताकत के साथ २०१९ का लोकसभा चुनाव लड़ेगा, उसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में मजबूत दल के तौर पर सामने आएगा। शिवपाल ने कहा कि अपमानित होने की भी कोई सीमा होती है। उन्होंने कहा कि सेक्युलर मोर्चा के बिना कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना पाएगी।
सपा में काफी दिनों से हाशिए पर चल रहे शिवपाल ने बुधवार को यहां पर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन का ऐलान किया था। शिवपाल ने कहा था कि उनका प्रयास होगा कि ऐसे लोगों को मोर्चा से जोड़ें जिनका सपा में सम्मान नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसीलिए सेक्युलर मोर्चा बनाकर अपने लोगों को काम दिया है। अब शिवपाल का सेक्युलर मोर्चा कितना प्रभावशाली होगा इसका पता 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ही चलेगा।
सपा में काफी दिनों से हाशिए पर चल रहे शिवपाल ने बुधवार को यहां पर समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन का ऐलान किया था। शिवपाल ने कहा था कि उनका प्रयास होगा कि ऐसे लोगों को मोर्चा से जोड़ें जिनका सपा में सम्मान नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसीलिए सेक्युलर मोर्चा बनाकर अपने लोगों को काम दिया है। अब शिवपाल का सेक्युलर मोर्चा कितना प्रभावशाली होगा इसका पता 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ही चलेगा।