डा. सुनील धनेष्वर ने मुख्य अतिथि को अंगवस्त्र और स्मृतिचिन्ह भेट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, हम उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अत्यंत आभारी हैं कि उन्होंने विवि. को इस महत्वपूर्ण कार्य का दायित्व सौपा है। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण निसंदेह इन महिलाओं के जीवन में मील का पत्थर साबित होगा। मुख्य अतिथि रामा रमण ने प्रशिक्षण लेने आई महिलाओं से कहा कि ज बवे अपने गांव वापस जाएं तो यह मानकर जाएं कि वो एक यूनीवर्सिटी से पढ़कर आ रहीं हैं और यहां प्राप्त ज्ञान पर गर्व करें। सरकार आपको हर कदम पर सहायता मुहैया कराने को तत्पर है।
बधाई देते हुए कहा कि फूड एण्ड एग्रीकल्चर फाउंडेशन का योगदान किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होने कहा कि, हमारे यहां कुल 300 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन होता है जबकी मांग 3000 मीट्रिक टन की है। मांग और उत्पादन के बीच का यह गैप किसानों के लिए बड़ा अवसर है। उत्तर प्रदेश में हैण्डलूम की एक समृद्ध परम्परा रही है। इस परम्परा को तकनीकि से जोड़कर इसे और क्षमतावान बनया जा सकता है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होने एमिटी समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा. अशोक के चौहान से निवेदन किया कि वह हैण्डलूम से संबंधित कोर्स आरम्भ करने पर भी विचार करें। श्री रमा रमण ने कहा कि सरकार लखनऊ में एक रेशम पार्क स्थापित करने के बारे में भी विचार कर रही है।
संस्थापक अध्यक्ष डा. अशोक के चौहान संबोधित करते हुए कहा कि हम भाग्यशाली है कि हम उत्तर प्रदेश के वासी हैं। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी न केवल प्रदेश के चहुंमुखी योगदान में लगे है बल्कि पूरे भारतवर्ष के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। अशोक क चौहान ने ने कहा कि मैं वचन देता हू कि प्रदेश और देश के विकास के लिए जो भी आवश्यक होगा एमिटी अपना योगदान देगा। उन्होंने कहा कि मै उत्तर प्रदेश को सर्वाेत्तम प्रदेश के रूप में देखना चाहता हूं।
कर्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए नवनीत सहगल (आईएएस) ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने लिए अनेकों योजनाओं पर काम चल रहा है। ओडीओपी जैसी योजना अपना परिणाम देने लगीं हैं। उन्होंने कहा कि रेशम उद्योग भी किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। काशी सिल्क उद्योग का गढ़ है पर हम ज्यादातर रेशम चीन से आयात करते हैं। उन्होनें कहा कि अगर हम झांसी में स्ट्राबेरी की पैदावार कर सकते हैं तो तकनीकि की मदद से किसान उच्च गुणवत्ता वाला चाइना सिल्क भी उत्पादित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सेरीकल्चर रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए कार्य करता है तो सरकार हर संभव मदद करेगी। उन्होनें इस संबंध में एमओयू करने के लिए भी प्रस्ताव दिया।
कर्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए नवनीत सहगल (आईएएस) ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने लिए अनेकों योजनाओं पर काम चल रहा है। ओडीओपी जैसी योजना अपना परिणाम देने लगीं हैं। उन्होंने कहा कि रेशम उद्योग भी किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। काशी सिल्क उद्योग का गढ़ है पर हम ज्यादातर रेशम चीन से आयात करते हैं। उन्होनें कहा कि अगर हम झांसी में स्ट्राबेरी की पैदावार कर सकते हैं तो तकनीकि की मदद से किसान उच्च गुणवत्ता वाला चाइना सिल्क भी उत्पादित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सेरीकल्चर रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए कार्य करता है तो सरकार हर संभव मदद करेगी। उन्होनें इस संबंध में एमओयू करने के लिए भी प्रस्ताव दिया।