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कोरोना के कहर के बीच वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा पूरा देश, अब ऐसे पूरी होगी कमी

locationलखनऊPublished: Mar 27, 2020 09:04:17 am

– आईआईटी कानपुर और इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डिक साइंस साथ मिलकर करेंगे काम
– बेंगलुरु के विशेषज्ञों की भी ली जाएगी मदद
– अगले एक महीने में तैयार होंगे एक हजार पोर्टेबल वेंटीलेटर
– आईआईटी बीएचयू सैनिटाइजर बनाकर बांट रहा

कोरोना के कहर के बीच वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा पूरा देश, अब ऐसे पूरी होगी कमी

कोरोना के कहर के बीच वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा पूरा देश, अब ऐसे पूरी होगी कमी

लखनऊ. कोरोना वायरस को लेकर देश भर में चिकित्सा सेवाएं तेज कर दी गई हैं। जगह जगह अस्पतालों में इसके लिए आइसोलेश वार्ड बनाए गए हैं। इस बीच अस्पतालों में जरूरी उपकरणों की कमी भी देखने को मिल रही है। देश में कोरोना वायरस के चलते बढ़ती मरीजों की संख्या के चलते वेंटिलेटर के साथ ही दूसरे जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े उपकरणों की मांग भी बढ़ गई है। यहा तक कि कोरोना के चलते अबतक सबसे ज्यादा मौतों का सामना कर चुका इटली भी इस समय वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा है और दूसरे देशों से मदद मांग कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ भारत में भी एक महीने में करीब पचास हजार और वेंटिलेटर की जरूरत महसूस हो रही है। जिसको देखते हुए आइआइटी कानपुर ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। आईआईटी ने पोर्टेबल वेंटिलेटर के साथ दूसरे जरूरी उपकरणों की तकनीक विकसित करने पर काम शुरू भी कर दिया है। आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाने के लिए नारायणा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डिक साइंस और बेंगलुरु के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करेंगे। जानकारी के मुताबिक प्रोटोटाइप अगले सात दिन में बना दिया जाएगा। इसके बाद दो पुरातन छात्रों की कंपनी अगले एक महीने में एक हजार पोर्टेबल वेंटीलेटर तैयार कर देगी।
दरअसल इस समय भारत में केवल 40 हजार वेटिंलेटर है, जिन पर गंभीर मरीजों का उपचार किया जाता है। देश में वेंटिलेटर की उपलब्धता के बारे में यह अनुमान इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर का है। कई विशेषज्ञ की मानें तो अस्पतालों में सघन जांच केंद्रों की इतनी संख्या कोरोना के गंभीर मरीजों को उपचार दिलाने के लिए अपर्याप्त होगी और हमें और संसाधनों की जरूरत होगी।
50 हजार पोर्टेबल वेंटीलेटर की जरूरत

आईआईटी कानपुर के पुरातन छात्र निखिल कुरेले और हर्षित राठौर ने संस्थान के इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन हब के सहयोग से एक कंपनी बनाई थी। इसी कंपनी ने पोर्टेबल वेंटीलेटर का आइडिया विकसित किया था। वेंटीलेटर के प्रोटोटाइप मॉडल पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. समीर खांडेकर, प्रो. अरुण साहा, प्रो. जे.राम कुमार, प्रो. विशाख भट्टाचार्य काम करेंगे, जबकि तकनीकी सहयोग बेंगलुरु के डॉ. दीपक पद्मनाभन देंगे।
महीनेभर में तैयार होंगे एख हजार वेटीलेटर

इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन हब के इंचार्ज प्रो. अमिताभ बंद्धोपाध्याय के मुताबिक भारत में स्थिति को देखते हुए एक माह में 50 हजार पोर्टेबल वेंटीलेटर की आवश्यकता है। आईआईटी कानपुर एक महीने में एक हजार वेंटीलेटर तैयार करेगा। इसमें कई संस्थाएं सहयोग कर रही हैं।
बना रहे कई और प्रोटोटाइप

आईआईटी कानपुर कई और उत्पादों के प्रोटोटाइप बनाने की तैयारी भी कर रहा है। इसके लिए अगले 14 दिन का समय तय किया गया है। इनमें थर्मल सेंसर, थर्मोमीटर, वेंटीलेटर, मास्क बनाने वाली मशीन, थर्मल ड्रोन, हैंड सैनिटाइजर आदि शामिल हैं।
लॉकडाउन के चलते फंसे

प्रो. बंद्धोपाध्याय के मुताबिक निखिल कुरेले और हर्षित राठौर इस समय पुणे में हैं। वे दोनों लॉकडाउन के चलते निकल नहीं पा रहे हैं। वे महाराष्ट्र सरकार से अनुमति लेकर यहां आएंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
तेजी से बढ़ रहे मामले

भारत में हर दिन कोरोना संक्रमित नए मामले मिलने की दर बढ़ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि संक्रमण दर में ऐसी ही वृद्धि इटली व ईरान में देखने को मिली थी। इसके बाद वहां के अस्पतालों में वेंटिलेटर पर इलाज की जरुरत वाले मरीजों का भार बढ़ गया और स्थिति अनियंत्रित हो गई। गौरतलब है कि वेंटिलेटर बनाने के लिए सरकार को मोटा बजट खर्चना होगा क्योंकि एक वेंटिलेटर की कीमत आठ से दस लाख रुपये होती है।
आईआईटी बीएचयू बनाकर बांट रहा सैनिटाइजर

आइआइटी, बीएचयू का बायो मेडिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट कोरोना वायरस को लेकर काफी सक्रियता के बीच लोगों को फ्री सैनिटाइजर बांट रहा है। विभाग में डा. मार्शल ने बताया कि उन्होंने जिलाधिकारी को यहां बने सैनिटाइजर के लोगों में निःशुल्क वितरण के लिए अनुमति ली है। इसके साथ ही वह आइआइटी, बीएचयू में सभी स्टाफ व प्रोफेसर को भी यह बांट रहे हैं। बीएचयू अस्पताल की ओर से भी उन्हें सैनिटाइजर बनाने के लिए संपर्क किया गया है। डा. मार्शल ने बताया कि सभी संसाधन उपलब्ध करा दिया जाएं तो वह दस लीटर सैनिटाइजर बनाकर लोगों में वितरित करेंगे।
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