देश में साइबर क्राइम की मंडी करीब 200 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इसमें 99 प्रतिशत केसेज फाइनैंशल फ्रॉड के हैं।
लखनऊ। आज के इस तकनिकी दौर में हर चीज़ आसान हो गई है। जिसकी वजह से हर क्षेत्र में क्राइम बढ़ रहा है। कंप्यूटर से लेकर मोबाइल फोन और एटीएम कार्ड से लेकर बैंक अकाउंट तक साइबर क्रिमिनल्स की पहुंच में हैं। डेवलप्ड टेक्नोलॉजी ही इसकी मुख्य वजह है। हालात ये हैं कि देश में साइबर क्राइम की मंडी करीब 200 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इसमें 99 प्रतिशत केसेज फाइनैंशल फ्रॉड के हैं।
आए दिन हो रहे फाइनैंशल फ्रॉड से बचने के लिए विभूतिखंड स्थित पीएनबी आईआईटी में ‘बैंकिंग साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए उपचारात्मक उपाय’ पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञों ने कई अहम सुझाव के साथ ही साइबर क्राइम की स्थिति से अवगत करवाया।
एसटीएफ की साइबर क्राइम सेल के एएसपी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि तकनीक के साथ साइबर क्राइम भी बढ़ रहा है। मोबाइल फोन के एसएमएस से लेकर हर कॉल तक पर साइबर अपराधियों की नजर है। एटीएम से निकाले जाने वाली रकम और बैंकों से होने वाले ट्रांजैक्शन तक भी पहुंच चुके हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एसटीएफ ने पिछले 16 माह में देश भर से करीब चार हजार साइबर अपराधियों को पकड़ा है। इनसे बचने का एकमात्र विकल्प सावधानी और जागरूकता है। इस मौके पर पीएनबी आईआईटी के निदेशक पीएस गणपति, वरिष्ठ प्रबंधक सत्येंद्र शर्मा, अमित बुंदेला और एजीएम दिव्यांग रस्तोगी ने कर्मचारियों को साइबर क्राइम से बचने के तरीके बताए।
जामतारा में हैं साइबर क्राइम की सबसे बड़ी मंडी
एसटीएफ की छानबीन में आया है कि साइबर क्राइम की सबसे बड़ी मंडी झारखंड के जामतारा जिले में चल रही है। यहां के 42 गांवों में ज्यादातर लोग साइबर क्राइम में लिप्त हैं। फ्रॉड इंडस्ट्री का रूप ले चुके गांव के लोग खुद को बैंककर्मी बता रोज किसी न किसी के एटीएम या क्रेडिट कार्ड का वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) हासिल कर चपत लगा रहे हैं। वेलकम किट से चेक की क्लोनिंग बैंकों में खाता खोने के बाद दी जाने वाली वेलकम किट को भी साइबर अपराधी हथियार बना रहे हैं। वेलकम किट में दिए गए चेक बुक पर अकाउंट नंबर नहीं लिखा होता है। ऐसे में चेक की संख्या को खुरचकर विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए क्लोन तैयार कर लेते हैं। इसके बाद कस्टमर से किसी ने किसी बहाने चेक के बारे में जानकारी हासिल कर क्लोन चेक से रकम पार कर देते हैं।
भारी रकम लूटने का है ये जरिया
सरकारी विभागों में नौकरी का विज्ञापन देखते ही साइबर अपराधी वैसी ही फेक वेबसाइट तैयार कर लिंक के जरिए बेरोजगारों से रकम जमा करा रहे हैं। महज दस हजार रुपये और छह से सात घंटे में में फेक वेबसाइट तैयार हो जाती है। इसके बाद लिंक में दिए गए अकाउंट नंबर में रकम जमा कर जालसाज चंपत हो जाते हैं। इतना ही नहीं नौकरी के नाम पर ठगी के लिए ट्विटर का भी इस्तेमाल हो रहा है। एएसपी ने बताया कि हाल ही में नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में ऐसा ही मामला एसटीएफ ने पकड़ा है।
फोन स्विच ऑफ हुआ तो हो जाएं सतर्क
साइबर क्रिमिनल थानेदार के नाम सिम गुम होने का फर्जी प्रार्थना पत्र लिखकर, थाने की नकली मुहर लगाकर मोबाइल फोन कंपनियों से नया सिम हासिल किया जा रहा है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति के अकाउंट एवं एटीएम की डीटेल हासिल कर रकम पार की जा रही है। ऐसे में मोबाइल फोन चार-पांच घंटे के लिए बंद होने पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा कम ब्याज पर लोन का झांसा देकर भी खेल किया जा रहा है।
बरतें ये सावधानियां
- बैंक खाता संख्या, कार्ड संख्या, पिन, ईमेल आईडी और पासवर्ड, मोबाइल नंबर, OTP और यूजर आईडी की जानकारी फोन पर किसी को न दें।
- बैंक, कॉल सेंटर से आपके पास भेजा गया यूजर आईडी और पासवर्ड गलत है। सही पासवर्ड के लिए जानकारी मांगे जाने पर न दें। बैंक ऐसा नहीं करते।
- डिटेल न देने पर खाता बंद होने की बात कहे जाने पर डरें नहीं, सीधे पुलिस को सूचना दें।
- अनुरोध के बिना मोबाइल फोन बंद किए जाने का फोन आने पर ध्यान न दें। जालसाज इसी बहाने ओटीपी या अन्य डिटेल निकाल सकते हैं।
- समय-समय पर एटीएम और क्रेडिट कार्ड के पासवर्ड बदलते रहें। एटीएम या पीओएस मशीन का उपयोग करते समय कीपैड ढक कर रखें।
- एटीएम की डीटेल एवं पासवर्ड की जानकारी किसी से भी शेयर न करें, केबिन में किसी को न आने दें।
- साइबर कैफे/कियॉस्क में ऑनलाइन लेन-देन से बचें।