बतादें कि यूपी में तीन आदर्श कारागार, पांच केंद्रीय व 63 जिला कारागार हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन जेलों में कितने कैदी रखे जाएंगे इसकी संख्या भी तय है। मानके के मुताबिक इन जेलों में कुल 58,400 कैदी रखे जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। वर्तमान में इन जेलों में 96,580 कैदी रखे गए हैं। इसमें 141 विदेशी और शेष भारतीय कैदी हैं। मतलब साफ है कि यूपी की जेलों में क्षमता से दोगुना अधिक कैदी भरे पड़े हैं।
फांसी की सजा पाए और खुंखार अपराधियों से भरी हैं यूपी की जेलें उत्तर प्रदेश की जेलों में सबसे अधिक कुख्यात खुंखार और फांसी की सजा पाए हुए अपराधी बंद हैं। जेलों में उनका मानों राज चलता है, उनके आतंक का आलम यह है कि जेल के अस्पतालों से लेकर जेल के अंदर तक उनका अपना राज्य चलता है। वे जेल में ही बैठे-बैठे बड़े-बड़े ठेके पट्टे उठवाने का काम करते हैं। उनका नेटवर्क इतना मजबूत है कि उन पर किसी अधिकारी का कोई नियंत्रण नहीं चलता। वहां की सत्ता उन्हीं के हाथ में होती है। रंगदारी, फिरौती, ठेकेदारी और रियल स्टेट के काम को भी जेल के अंदर से अंजाम दिया जाता है।
जेल से फल-फूल रहा है अपराधियों का धंधा जेल के भीतर से ही अपराधी मोबाइल के जरिए अपना काम आसानी से कर रहे हैं। बताया जाता है कि इनके मुलाकाती भी आसानी से जेलों में बेरोक-टोक मिलते हैं। जेलोंं में उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं।
अफसर भी डरते हैं इनसे ्रजेल में बंद तमाम ऐसे अपराधी हैं जिनके नाम से बड़े बड़े अफसर भी डरते हैं। इनमें बबलू श्रीवास्तव, मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, सुनील राठी खान मुबारक, सुभाष ठाकुर, डॉ. उदयभान, मुकीम काला, योगेश भदौड़ा, उधम सिंह करनावन, विनोद बावला, धनंजय राय, रणदीप भाटी, अनिल दुजाना आदि के नाम शामिल हैं। इन अपराधियों के गुर्गे यहां से इशारे पाकर इनका काम करते हैं। इसके अलावा कुछ राजनीतिक अपराधी भी जेल में हैं।