आनंदीबेन पटेल ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह ने समाज से जुल्म और पाप को समाप्त करने का बीड़ा उठाया और गरीबों एवं असहायों की रक्षा के लिये सदैव तत्पर रहे। उन्हें विश्व का सबसे बड़ा बलिदानी पुरूष कहा जाता है। राज्यपाल ने बताया कि गुरु गोविन्द सिंह जी ने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया यदि किसी ने गुरु जी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता और सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। वे बचपन से ही सरल, सहज, भक्ति भाव वाले कर्मयोगी थे। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है।
विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने भारतीय संस्कृति के समस्त गुरूओं को नमन करते हुए कहा कि गुरु परम्परा भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परम्परा है, जिसने देश की रक्षा हेतु समाज को तैयार किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सिक्ख समाज के द्वारा दिया गया योगदान सभी के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने सभी समुदायों से अपील की कि राष्ट्र हित में सभी वर्गों को आगे आकर अपना सर्वोत्तम योगदान देना चाहिये।
महापौर संयुक्ता भाटिया ने समस्त गुरूओं को नमन करते हुए कहा कि राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा में सिक्ख समाज हमेशा आगे रहा है। सभी गुरुओं ने राष्ट्र की रक्षा हेतु समाज को तैयार किया। धर्म और राष्ट्र की रक्षा हेतु हमारी बलिदानी परम्परा इसका अनूठा उदाहरण है। इसलिये हम सभी का ये कर्तव्य है कि परिवार के साथ-साथ समाज और देश के विकास के लिये तन, मन, धन से समर्पित होकर कार्य करें।