कार्यक्रम का शुभारम्भ फागुन मा होली खेलैं गणपति देवा से विभा श्रीवास्तव ने किया। डा. विद्याविन्दु सिंह ने पारम्परिक फाग दशरथ सुत खेलत होरी समाज बटोरी, उमा त्रिगुणायत ने सखी री आई रंगीली होली, आरती पांडेय ने कन्हैया संग चलो गुइयां आज खेलें होली, चित्रा जायसवाल ने होली का आया है त्यौहार बोलो राधे राधे, मधु श्रीवास्तव ने होली कर ले रंग रंगीली, पुणे की सुधा द्विवेदी ने रंग बिरंगी होली खेलूंगी, मुक्ता चटर्जी ने कासे फागुन होरी खेलूँ मैं रामा पिया नाहीं अइले, इन्दू सारस्वत ने मोरे कान्हा जो आये पलट के, कल्पना सक्सेना ने चलो सखी खेलैं कन्हैया संग होली, सीमा अग्रवाल ने फगुनवा में रंग रसे रसे बरसे, प्रीति श्रीवास्तव ने नन्दलाला मारे जायें।
केसर के फुलवा, ऋतुप्रिया खरे ने होरी का स्वरचित रैप सांग रंग रंगीली होली रे, सरिता अग्रवाल ने सिर बांधे मुकुट खेलैं होली, सरोज खुल्बे ने सखी री लागी श्याम संग भीर, रंजना भार्गव ने होली आई रे उड़त रंग, मंजू श्रीवास्तव ने कान्हा ने भिगोई मोरी सारी, उषा पांडिया ने सावंरे ने गारी दई मैंने कछु ना कही, उमा मेहरोत्रा ने मुझे मिल गया नन्द का लाल तथा सुनीता श्रीवास्तव ने होरी खेलन आयो श्याम सुनाया। सुरभि सिंह, डा. इन्दू रायजादे व रेखा मिश्रा ने भी होरी के विविध रंग प्रस्तुत किये। संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि बैठकी में शनिवार को पद्मश्री डा. योगेश प्रवीन अवधियाना होली की विशेषता बतायेंगे तथा पारम्परिक गीत भी प्रस्तुत करेंगे।