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पुलिसकर्मियों की वजह से बढ़े अपराध
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तमाम दावों के विपरीत अपराध बढ़े हैं। खुद सरकारी आंकड़ों में बताया गया कि 1 अप्रैल 2017 से 31 जनवरी 2018 के बीच बलात्कार में 25 प्रतिशत, सार्वजानिक रूप से अपमानित करने की घटनाओं में 40प्रतिशत, महिलाओं के अपहरण के मामलों में 35 प्रतिशत और छेड़छाड़ के मामले में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
प्रदेश में महिलाओं के उत्पीडऩ के मामलों में इज़ाफ़ा हुआ है। लेकिन गौरतलब बात यह है कि पहले प्रदेश में महिलाओं और दलितों पर हुए अत्याचार के मामले दर्ज नहीं होते थे। अब हर मामले की रिपोर्ट आसानी दर्ज हो रही है। इसलिए यह संख्या ज़्यादा दिख रही है।
-राकेश त्रिपाठी,बीजेपी प्रवक्ता,उप्र
पुलिसकर्मियों की कमी बढ़ते अपराध की एक बड़ी वजह है। ज़रूरत के हिसाब से पुलिस में कर्मचारी नहीं होने से पुलिसकर्मियों पर काम का दबाव बढ़ता है। पेट्रोलिंग करनी हो या किसी मामले की जांच करनी हो, उस पर इसका साफ़ असर होता है।
-एसआर दारापुरी,पूर्व आईजी, यूपी पुलिस
पुलिसकर्मियों की कमी की वजह से पूरा प्रशासन अपंग हो जाता है। पुलिस की कार्य संस्कृति पर भी असर पड़ता है। बड़ी संख्या में अगर पुलिसकर्मियों की कमी होगी, तो जो कर्मचारी मौजूद हैं उन पर काम का बोझ बढ़ता है। वे सो नहीं पाते, छुट्टी पर नहीं जा पाते। इस वजह से काम की गुणवत्ता और विवेचना की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
-विक्रम सिंह,पूर्व डीजीपी, उप्र पुलिस
अंतरराष्ट्रीय मानक के मुताबिक प्रति एक लाख लोगों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। जबकि भारत में 182 पुलिसकर्मी प्रति लाख की है। यह संख्या भी पूरी तरह भरी नहीं है। वास्तविक स्थिति 139 से भी कम है। यानी एक लाख लोगों की सुरक्षा के लिए महज 139 पुलिस बल मौजूद हैं।
-प्रकाश सिंह,पूर्व आईपीएस अधिकारी