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पुलिसकर्मियों की कमी और बढ़ते अपराध को छिपा रही योगी सरकार

locationलखनऊPublished: Jul 19, 2019 02:46:18 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

-यूपी में अपराध न रुक पाने की बड़ी वजह पुलिसबल की भारी कमी-देश भर में सबसे ज्यादा 1,28,952 पद पुलिसकर्मियों के खाली हैं यूपी में-प्रति लाख व्यक्ति पर 222 पुलिसकर्मियों के मानक के मुकाबले 139 से भी कम हैं

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पुलिसकर्मियों की कमी और बढ़ते अपराध को छिपा रही योगी सरकार

पत्रिका एक्सक्लूसिव
लखनऊ. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उप्र में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर योगी सरकार को घेरा। सदन में सपा और बसपा विधायकों ने भी लॉ एंड आर्डर को लेकर खूब हंगामा मचाया। लेकिन सरकार का कहना है कि उप्र में पहले की तुलना में कानून व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है। अपराध पर पूरा नियंत्रण है। व्यक्तिगत रंजिश व विकृत मानसिकता की वजह से कभी-कभी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घट जाती हैं। लेकिन उप्र में बढ़ते अपराध की असली वजह सरकार छिपा गयी। पुलिस मामलों के जानकारों का कहना है कि उप्र की आबादी के हिसाब से पुलिस बल की संख्या बहुत कम है। सूबे में प्रति एक लाख पर 139 से भी कम पुलिसकर्मी हैं। तकरीबन डेढ़ लाख पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं। इसलिए अपराध की दर बढ़ी है।
प्रदेश में कानून-व्यवस्था खराब है। अपराधों में कोई कमी नजऱ नहीं आ रही है। दिनदहाड़े पुलिसकर्मियों की हत्या, मिर्जापुर में पुलिस की जानकारी में दस-दस लोगों की सरेआम गोली मार हत्या से साबित होता है कि उप्र में पुलिस का इकबाल भी कम हुआ है। बढ़ते अपराध की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन एक बड़ी वजह प्रदेश में भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की कमी है। गृह राज्यमंत्री जी किशन रड्डी ने 2 जुलाई को लोकसभा में एक प्रश्न में बताया था कि यूपी में देश में पुलिसकर्मियों के सबसे ज्यादा पद खाली हैं। सूबे में 4,14,492 पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत हैं। लेकिन, इनमें से सिर्फ 2,85,540 पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं। इस तरह 1,28,952 पद खाली हैं। यह आंकड़े 01-01-2018 तक के हैं। डेढ़ साल में पुलिसकर्मियों के रिटायर होने के बाद यह संख्या और बढ़ गयी है। हालांकि,भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि उत्तर प्रदेश पुलिस में 1.5 लाख रिक्त पदों को सरकार बनने के एक साल के भीतर भर लिया जाएगा। लेकिन आज के हालात यह बताने के लिए काफी हैं कि भारतीय जनता पार्टी अपने वादे पर खरी नहीं उतर पायी है।
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पुलिसकर्मियों की वजह से बढ़े अपराध


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तमाम दावों के विपरीत अपराध बढ़े हैं। खुद सरकारी आंकड़ों में बताया गया कि 1 अप्रैल 2017 से 31 जनवरी 2018 के बीच बलात्कार में 25 प्रतिशत, सार्वजानिक रूप से अपमानित करने की घटनाओं में 40प्रतिशत, महिलाओं के अपहरण के मामलों में 35 प्रतिशत और छेड़छाड़ के मामले में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार


प्रदेश में महिलाओं के उत्पीडऩ के मामलों में इज़ाफ़ा हुआ है। लेकिन गौरतलब बात यह है कि पहले प्रदेश में महिलाओं और दलितों पर हुए अत्याचार के मामले दर्ज नहीं होते थे। अब हर मामले की रिपोर्ट आसानी दर्ज हो रही है। इसलिए यह संख्या ज़्यादा दिख रही है।
-राकेश त्रिपाठी,बीजेपी प्रवक्ता,उप्र

पुलिसकर्मियों की कमी बढ़ते अपराध की एक बड़ी वजह है। ज़रूरत के हिसाब से पुलिस में कर्मचारी नहीं होने से पुलिसकर्मियों पर काम का दबाव बढ़ता है। पेट्रोलिंग करनी हो या किसी मामले की जांच करनी हो, उस पर इसका साफ़ असर होता है।
-एसआर दारापुरी,पूर्व आईजी, यूपी पुलिस

पुलिसकर्मियों की कमी की वजह से पूरा प्रशासन अपंग हो जाता है। पुलिस की कार्य संस्कृति पर भी असर पड़ता है। बड़ी संख्या में अगर पुलिसकर्मियों की कमी होगी, तो जो कर्मचारी मौजूद हैं उन पर काम का बोझ बढ़ता है। वे सो नहीं पाते, छुट्टी पर नहीं जा पाते। इस वजह से काम की गुणवत्ता और विवेचना की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
-विक्रम सिंह,पूर्व डीजीपी, उप्र पुलिस

अंतरराष्ट्रीय मानक के मुताबिक प्रति एक लाख लोगों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। जबकि भारत में 182 पुलिसकर्मी प्रति लाख की है। यह संख्या भी पूरी तरह भरी नहीं है। वास्तविक स्थिति 139 से भी कम है। यानी एक लाख लोगों की सुरक्षा के लिए महज 139 पुलिस बल मौजूद हैं।
-प्रकाश सिंह,पूर्व आईपीएस अधिकारी
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