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गर्मी के पारे से झुलसा प्रदेश, पेयजल संकट और आग ने बढ़ाई मुश्किल

locationलखनऊPublished: Apr 22, 2018 04:53:42 pm

गर्मी के तापमान ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।

Lucknow News
लखनऊ. गर्मी के तापमान ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। दिन में पारा चढ़ने के कारण चिलचिलाती गर्मी से दोपहर के समय सड़कों पर सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। प्रदेश के कई हिस्सों में जहां तापमान 42 डिग्री तक पहुंच चुका है तो कई हिस्सों में गर्मी के कारण खेतों में खड़ी फसलों में आग लगने से भारी नुकसान हुआ है। कई क्षेत्रों में लोग पीने के पानी का संकट झेल रहे हैं तो अस्पतालों में मौसमी बीमारी की चपेट में आये मरीजों की भीड़ उमड़ रही है।
दिन में धूप ने किया परेशान

राजधानी लखनऊ में रविवार को गर्मी और धूप ने लोगों को काफी परेशान किया। लखनऊ के साथ ही कानपुर, झांसी सहित अन्य शहरों में अधिकतम तापमान 39 डिग्री के लगभग रिकार्ड किया गया। प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान 41 और 42 डिग्री रिकार्ड किया गया। आने वाले दिनों में तापमान के और अधिक बढ़ने का अनुमान है। मौसम विज्ञानियों ने पूर्व में भी आशंका जताई है कि इस वर्ष पिछले साल की अपेक्षा एक डिग्री से दो डिग्री तक गर्मी अधिक पड़ेगी।
खेतों में आग लगने से किसानों का नुकसान

गर्मी के कारण प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मकानों और खेतों में आग लगने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। खेतों में खडी फसलें जल जाने से कई क्षेत्रों में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इटावा, कानपुर देहात, झांसी सहित कई जनपदों में खेतों में आग लगने से किसानों को फसल का काफी नुकसान उठाना पड़ा है। खेतों में खड़ी फसलों के जलने से हुए नुकसान की भरपाई के आदेश शासन स्तर से जारी किये गए हैं। हालाँकि अधिकांश जगहों पर किसानों को जली फसलों के बदले अभी तक किसी तरह का मुआवजा नहीं मिला है।
बुंदेलखंड में पेयजल संकट

गर्मी का पारा चढ़ने के साथ ही पेयजल संकट भी असर दिखाने लगा है। राजधानी लखनऊ के कई इलाकों में हैंडपंप और पानी की टंकियां सूख जाने से पानी की सप्लाई प्रभावित हो रही है। कानपुर के साथ ही बुंदेलखंड में भी पेयजल संकट का भयानक संकट देखने को मिल रहा है। बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, ललितपुर और अन्य जनपदों में अधिकांश पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं और पानी की टंकियां सूख गई हैं। बहुत सारे हैंडपंप सूख गए हैं और लोगों को पानी लाने के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है। प्रशासन ने कई क्षेत्रों में पानी सप्लाई के लिए टैंकरों की व्यवस्था की है, लेकिन वे पर्याप्त साबित नहीं हो रही हैं।

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