बता दें कि मुंबई में ही पश्चिम रेलवे के वसई रोड स्टेशन से 21 मई की ही शाम 7.20 पर गोरखपुर के लिए रवाना हुई विशेष ट्रेन तो आज दोपहर ओडिशा के राऊरकेला होते हुए झारखंड के गिरिडीह पहुंच गई, जबकि मुंबई से गोरखपुर के सीधे मार्ग में न ओडिशा आता है, न झारखंड। इस ट्रेन से यात्रा कर रहे विशाल सिंह कहते हैं कि यात्रियों को ट्रेन का रूट बदलने की कोई सूचना तक नहीं दी गई। श्रमिकों की तकलीफ का आलम यह है कि किस्मत मेहरबान हो गई तो किसी स्वयंसेवी संस्था या आईआरसीटीसी (IRCTC) की व्यवस्था में रास्ते में कुछ खाने को मिल जाता है। नहीं तो श्रमिकों के साथ चल रहे बच्चे बूंद-बूंद पानी को भी तरस रहे हैं।
ट्रेनों के अंपने गंतव्य तक पहुंचने में हो रही देरी एवं रूट बदले जाने का कारण बताते हुए पश्चिम रेलवे (West Railway) के जनसंपर्क अधिकारी गजानन महतपुरकर का कहना है कि सभी रूटों पर एक साथ कई श्रमिक विशेष ट्रेनें चलने के कारण कुछ ट्रेनों के रूट बदलने पड़ रहे हैं। पश्चिम मध्य रेलवे के सूत्रों का कहना है कि इन दिनों ट्रेनों की आवाजाही का व्यस्ततम रूट इटारसी और इसके आसपास के स्टेशन बन गए हैं। दिल्ली से दक्षिण भारत को जोड़ना हो, या मुंबई से उत्तर भारत को, ट्रेनों को इटारसी होकर ही जाना पड़ता है।
सामान्य दिनों में ट्रेनों का आवागमन टाइम टेबल के अनुसार होता है, जबकि श्रमिक विशेष ट्रेनें बिना टाइम टेबल के चल रही हैं। इसलिए भी इटारसी जैसे जंक्शन को जाम की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण कुछ ट्रेनों के रूट बदलने पड़े हैं। बता दें कि इन दिनों महाराष्ट्र ही नहीं, गुजरात से भी उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर जानेवाली कई ट्रेनों को इटारसी होकर भेजा जा रहा है। इसके कारण इटारसी रूट का बोझ और ज्यादा बढ़ गया है।