लखनऊ

253 की ज़िन्दगी ख़त्म, लेकिन प्रभु चिंतामुक्त

सरकार नहीं प्रभु भरोसे अपनी रेल, मरते हैं यात्री फिर ढूंढते हैं ऐंगल

लखनऊAug 23, 2017 / 01:04 pm

Santoshi Das

Kaifiyt Express Rail Accident In UP

लखनऊ। यूपी में पांच दिन पहले मुज्जफ्फरनगर रेल हादसा हुआ था. वहां की स्थिति सुधरी भी नहीं थी कि औरैया जिले में कैफियत एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई. मानव रहित फाटक पर देर रात रेलगाड़ी एक डम्पर से टकरा गई. इस हादसे में 26 लोग घायल हो गए हैं. सिलसिलेवार हादसों की यह घटनाएं केवल इसी साल की नहीं है बल्कि पिछले साल भी कई बड़े हादसे हुए.बात करें रेल मंत्री प्रभु और पीएम मोदी के कार्यकाल की तो अब तक सात बड़े रेल हादसे हुए हैं जिसमें 253 लोगों की जानें जा चुकी हैं. इन सात बड़े रेलवे दुर्घटनाओं में केवल 10 लोगों पर ही गाज गिरी है.
 मंगलवार को सरकार ने रेलवे मिनिस्ट्री की पीठ थपथपाने वाली रिपोर्ट जारी की. इसमें सरकार ने दावा किया है कि तीन साल में रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाये गए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल में रेलवे दुर्घटनाओं में कमी आई है पिछली सरकारों के मुकाबले। मगर इस रिपोर्ट की सच्चाई जनता के सामने तब सामने आ गई जब पांच दिन भी नहीं बीता कि यूपी में दूसरा बड़ा रेल हादसा हो गया.
ये हैं मोदी सरकार में हुए बड़े रेल हादसे जो खोलता है पोल 

-19 अगस्त 2017- मुजफ्फरनगर में पटरी पर मरम्मत का काम चल रहा था चालक को नहीं मिला सिग्नल दुर्घटना ग्रस्त हुई रेल 
-21 जनवरी 2017- एपी में जगदलपुर पटरी से उतर गई और इसमें 36 लोग मर गए 
-28 दिसंबर 2016 अजमेर सियालदाह एक्प्रेस के 15 डिब्बे पटरी से उतरे इसमें 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई 
-20 नवंबर 2016- कानपुर के पास पुखरायां में बड़ा रेल हादसा, इसमें 150 से अधिक मौतें 
-20 मार्च 2015- देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतरी इसमें 34 लोग मरे 

रेलवे में है संपर्क करने की कमी ?

मुजफ्फरनगर रेल हादसे में सबसे बड़ा कारण रेल चालक तक यह बात ना पहुंचना है कि पटरी का मरम्मत कार्य चल रहा है.सवाल यह है कि अगर पटरी पर काम चल रहा था तो सिग्नलमैन ने सिग्नल क्यों नहीं दिया? हद तो तब हो गई जब इस घटना को एटीएस आतंकी घटना से जोड़ के देखने लगी. ठीक इसी तरह अगर पटरी पर डंपर खड़ी थी तो उसको हटाया क्यों नहीं गया और इसकी सूचना सिंग्नलमैन को आगे क्यों नहीं बढ़ाई ?
यह है सरकारी दावा

तीन साल में हादसों की संख्या 135 से घटकर 104 पर आ गई है 
चौकीदारा रहित रेलवे लाइन पर हादसे 60 फ़ीसदी घटे 
2015-16 के रेल बजट में चौकीदार रहित क्रॉसिंग को बंद करने का ऐलान किया 
2016-2017 में 1503 ऐसी क्रॉसिंग बंद कर दी गई 
-रेल हादसों को रोकने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग बढ़ाया जा रहा है 
-ट्रेन की टक्क्र रोकने के लिए लोको पायलटों को ऑटोमैटिक रेल सुरक्षा सिस्टम की मदद मिल रही 
-लोको पायलटों को सिमुलेटर पर रेल चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा 
-रेल का पटरी से उतरने(डिरेलमेंट) की घटना ना हो इसके लिए मशीनों के जरिये ट्रैक की जांच की जा रही 
तीन वर्षों में 662 रेलकर्मी रेल दुर्घटनाओं के लिए कसूरवार 

रेल मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि तीन साल में अब तक 662 रेलकर्मियों को कसूरवार ठहराया गया है. इनमें से 147 को बर्खास्त किया 28 को रिटायर किया गया. इसके अलावा 191 कर्मचारियों का प्रमोशन रोका गया और अन्य को अलग अलग तरह से पेनल्टी दी गई 
पुखरायां रेल हादसे में डीआरएम का हुआ था निलंबन 

2016 में कानपुर के पुखरायां रेल हादसे में झांसी के डीआरएम को निलंबित किया गया था. गौरतलब है कि इस घटना में 150 से अधिक यात्री मारे गए थे.
लापरवाही को जोड़ते है आतंकी घटना से 
यूपी में होने वाले रेल दुर्घटना को रेलवे विभाग पहले तो आतंकी घटना से जोड़ता है. पुखरायां और मुज्जफरनगर रेल घटना को भी आतंकी साजिश बताने की कोशिश की गई मगर बाद में इसमें अलग अलग वजह निकल कर सामने आई.
 रेलवे ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

FD: 05278-222603

SHG: 9794839010

लखनऊ: 9794830975

लखनऊ: 0522-2237677

आजमगढ़: 9794843929

 

 
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