अयोध्या का विकास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके साथ ही वह प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी बेहद गंभीर हैं। इसी क्रम में रामायण संग्रहालय के लिए लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर लखनऊ से 54 किलोमीटर और अयोध्या से 64 किलोमीटर दूरी पर करीब 10 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है। यहां आने वाले श्रद्धालु एक ही स्थान पर प्रभु श्रीराम के जीवनकाल के विभन्न प्रसंगों का दर्शन कर सकेंगे। यूपी संस्कृति विभाग के निदेशक शिशिर के मुताबिक, रामायण संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के लिए जमीन फाइनल हो गई है। आइआइटी खड़गपुर इसका डीपीआर तैयार कर रहा है। इसके बाद ही परियोजना की कुल लागत का पता चलेगा। हालांकि, उम्मीद है कि करीब डेढ़ सौ करोड़ की परियोजना हो सकती है, जो अलग-अलग चरणों में पूरी होगी। पहले चरण में मंच बनवाकर रामलीला का मंचन और कुछ लोक व्यंजन की शुरुआत की जाएगी। इसका संचालन अयोध्या शोध संस्थान करेगा।
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कठपुतलियां देंगी रामायण की प्रस्तुति
नियमित अंतराल पर यहां कठपुतलियों के जरिए रामायण की प्रस्तुति की जाएगी। इनमें भारत की सभी शैलियों सहित रूस, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड आदि देशों के कठपुतली कलाकार भी आमंत्रित किए जाएंगे। इसके अलावा रोजाना शाम छह से आठ बजे के बीच अयोध्या की पारंपरिक रामलीला की प्रस्तुति भी होगी।
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रामायण संग्रहालय व सांस्कृतिक केंद्र की खासियत
– रामचरितमानस के सातों कांड पर आधारित अनवरत गायन और वीडियो दिखाए जाएंगे
– श्रीराम वनगमन मार्ग, राम-जानकी वनगमन मार्ग सहित 280 स्थलों का वीडियो दिखाया जाएगा
– रामायण आधारित कला वीथिका, लोक, लघु व आधुनिक चित्र शैली में रामायण के चित्रों की वीथिका का होगा निर्माण
– पुस्तकालय, शोध और प्रकाशन केंद्र में भारत और विश्व की सभी भाषाओं में रामायण व अन्य प्रकाशित कार्य प्रदर्शित होंगे।
– पंचवटी वन क्षेत्र में रामायणकालीन वृक्षों का आयताकार रूप में पौधरोपण किया जाएगा।
– अयोध्या की पारम्परिक रामलीला रोजाना छह से आठ बजे के बीच होगी। रामलीला प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होगी।
– राम वनगमन पथ मार्ग, राम-जानकी वनगमन मार्ग क्षेत्र के प्रमुख व्यंजनों मधुबनी, अवध, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, श्रीलंका आदि के व्यंजनों वाली रसोई संचालित होगी